शिमलाः ग्रामीण विकास एवं पंचायती व पशुपालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने सोमवार को बताया कि पहाड़ी गाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने से हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है.
प्रदेश की इस नस्ल को 'नेशनल ब्यूरो ऑफ एनीमल जैनेटिक रिसोर्सिज' ने देश की मान्यता प्राप्त नस्लों की सूचि में शामिल कर लिया है. हिमाचली पहाड़ी गाय का पंजीकरण ‘‘हिमाचली पहाड़ी‘‘नाम से एक अधिकारिक नस्ल के रूप में किया है. जिससे कि अब यह नस्ल देसी नस्ल की अन्य गायों जैसे साहिवाल, रेड सिंधी गिर, जैसी नस्लों की श्रेणी में शामिल हुई है.
पशुपालन विभाग ने इस गाय को ‘गौरी‘ नाम से पंजीकृत करवाने का मामला ब्यूरो को भेजा गया था. परन्तु प्रदेश की देसी नस्ल पहाड़ी नाम से ज्यादा प्रचलित हाने के कारण इस नस्ल का नामकरण हिमाचली पहाड़ी के रूप से किया गया है.
वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि पशुपालन विभाग हिमाचल प्रदेश ने इस गाय को मान्यता प्राप्त नस्लों की श्रेणी में शामिल करवाने हेतु इस नस्ल की विशेषताओं को संकलित करके नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सिज के समक्ष रखा गया था और समय-समय पर उपरोक्त संस्थान से मांगे गए विवरणों को उपलब्ध करवाकर अब 2 वर्षों के प्रयास के पश्चात इस नस्ल का पंजीकरण हो सका है और यह नस्ल देसी नस्ल की गायों में सम्मिलित की गई है.
वर्तमान में 7.50- 8.00 लाख है हिमाचली पहाड़ी गायों की संख्या