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हिमाचल में शिमला, कांगड़ा और सोलन को सबसे अधिक जख्म दे रहे सड़क हादसे, लाहौल-स्पीति सबसे सुरक्षित - किन्नौर में सड़क हादसों का आंकड़ा

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को सड़क हादसे (road accidents in himachal) गहरा जख्म देते हैं. हिमाचल की सड़कें हादसों के प्रति संवेदनशील हैं और सभी प्रयास करने के बावजूद दुर्घटनाएं थम नहीं रहीं हैं. न साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो इन तीन जिलों में 1354 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से प्रदेश का सबसे छोटा जिला लाहौल-स्पीति सबसे सुरक्षित है.

road accidents in himachal
हिमाचल में सड़क हादसे.

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Published : May 2, 2022, 10:44 PM IST

शिमला: सड़क हादसे हिमाचल प्रदेश को गहरे जख्म (road accidents in himachal) देते हैं. यहां रोजाना औसतन तीन लोग हादसों में अपनी जान गंवाते हैं. पूरे प्रदेश में तीन जिले ऐसे हैं, जहां सड़क हादसों का कहर सबसे अधिक बरपता है. शिमला, कांगड़ा व सोलन जिले में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक जनहानि देखी गई है. तीन साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो इन तीन जिलों में 1354 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. वहीं, सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से प्रदेश का सबसे छोटा जिला लाहौल-स्पीति सबसे सुरक्षित है. लाहौल-स्पीति में तीन साल में 22 लोगों की जान हादसों में गई है. अभी तक सरकारी रिकॉर्ड में फरवरी 2022 तक के आंकड़े दर्ज किए जा चुके हैं. ये रिपोर्ट उन्हीं आंकड़ों पर आधारित है.

बिलासपुर जिले में तीन साल में 109 लोगों की मौत: जिला वार देखें तो बिलासपुर जिले में 2019 में 35, 2020 में 31 व 2021 में सड़क हादसों में (Road accident in bilaspur ) 38 लोगों की जान गई. फरवरी 2022 तक जिला बिलासपुर में 5 लोगों की मौत हुई. इस तरह कुल 109 लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा.

चंबा जिले में 243 लोग हुआ सड़क हादसे के शिकार: चंबा जिले में वर्ष 2019 में 78, 2020 में 74 व 2021 में 85 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं (Road Accident in chamba ) में दर्ज की गई. चंबा में कोरोना संकट के दौरान सड़क हादसों में दो साल के मुकाबले अधिक लोगों की मौत हुई. यहां फरवरी 2022 तक 6 लोगों को हादसों का शिकार होना पड़ा. इस तरह चंबा जिले में कुल 243 लोगों की मृत्यु सड़क हादसों में हुई.

हमीरपुर जिले में मौत का आंकड़ा कम: हमीरपुर जिले में उपरोक्त जिलों के मुकाबले मौत का आंकड़ा कम (Road Accident in Hamirpur ) है. यहां वर्ष 2019, 2020 व 2021 में क्रमश: 35, 37 व 22 लोगों ने जान गंवाई. फरवरी 2022 तक 2 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हुई. हमीरपुर जिले में सड़क हादसों ने 96 लोगों की जान ली.

कांगड़ा जिले में 414 लोगों की मृत्यु: कांगड़ा जिले में हादसों का ग्राफ दुर्भाग्यपूर्ण (Road accident in kangra ) है. यहां वर्ष 2019 में 156, वर्ष 2020 में 126 व वर्ष 2021 में 127 लोगों की जान गई. फरवरी 2022 में 6 लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा है. इस अवधि में कांगड़ा जिले में 414 लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटनाओं में हुई है.

किन्नौर जिले में 105 लोग बने काल का ग्रास: किन्नौर जनजातीय जिला है और आबादी यहां की कम है. किन्नौर में सड़क हादसों का आंकड़ा (Road accident in kinnaur ) देखा जाए तो यहां वर्ष 2019, 2020 व 2021 में क्रमश: 37, 34 व 32 लोगों को असमय दुर्घटनाओं में काल का ग्रास बनना पड़ा. फरवरी 2022 तक यहां 2 लोगों की मृत्यु हुई. किन्नौर जिले में कुल 105 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा.

कुल्लू जिले में मौत का आंकड़ा भयावह: कुल्लू जिले में वर्ष 2019 में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों का आंकड़ा भयावह है. यहां 2019 में 134 लोगों की मौत हुई. कुल्लू में कोरोना के दौरान वर्ष 2020 में 53 और 2021 में 77 लोगों की जान सड़क हादसों (Road accident in Kullu) में चली गई. फरवरी 2022 तक यहां 10 लोगों की मौत हुई. इस तरह कुल्लू में तीन साल में 274 लोग दुर्घटनाओं में मौत का शिकार हुए.

सड़क हादसों के लिहाज से लाहौल-स्पीति सबसे सुरक्षित: सबसे छोटा जिला लाहौल-स्पीति सबसे कम हादसों का शिकार (Road Accident in lahaul spiti) रहा. लाहौल-स्पीति में वर्ष 2019, 2020 व 2021 में क्रमश: 4,9,9 लोगों की मौत हुई. फरवरी 2022 तक यहां किसी की भी मौत सड़क हादसे में नहीं हुई है. इस तरह जिले में तीन साल में 22 लोगों की ही मौत हुई. हालांकि सड़क हादसों में एक भी मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हादसों को रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए.

मंडी जिले में तीन साल में 329 लोगों की गई जान: मंडी जिले में भी बहुत सड़क दुर्घटनाएं (Road accident in mandi ) होती हैं. यहां वर्ष 2019 में 109, वर्ष 2020 में 102 व 2021 में 111 लोगों को मौत का शिकार बनना पड़ा. मंडी जिले में फरवरी 2022 तक कुल 7 लोगों की मौत हुई. इस तरह जिले में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु का आंकड़ा 329 रहा है.

शिमला जिले में सबसे अधिक सड़क हादसे:शिमला जिले में सबसे अधिक सड़क हादसे हुए और मौतों की संख्या भी सबसे अधिक (Road accident in shimla) दर्ज की गई. शिमला जिले में वर्ष 2019 में 189, वर्ष 2020 में 157 व 2021 में 189 लोगों ने जान गंवाई. फरवरी 2022 तक भी यहां मौतों की संख्या सबसे अधिक 18 रही है. कुल 550 लोग हादसों का शिकार बने.

सिरमौर जिले में सड़क हादसे: सिरमौर जिले में वर्ष 2019 में 116, 2020 में 78 व 2021 में 118 लोगों की मृत्यु (Road Accident in sirmaur ) हुई. फरवरी 2022 तक 11 लोगों ने जान गंवाई. इस तरह सिरमौर में कुल 323 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई.

सोलन जिले में तीन साल में 390 लोगों की मौत: जिला सोलन भी हादसों को लेकर संवेदनशील (Road Accident in Solan) है. यहां 2019 से लेकर 2021 तक तीन साल में क्रमश: 118, 121 व 142 लोगों की मौत हुई. फरवरी तक यहां नौ लोगों की मौत हुई. सोलन जिले में तीन साल में 390 लोगों ने जान गंवाई.

ऊना जिले में सड़क हादसे: ऊना जिले में वर्ष 2019 में 139, 2020 में 72 व 2021 में 100 लोगों की जान दुर्घटनाओं (Road Accident in una ) में चली गई. फरवरी तक ये संख्या 8 रही. कुल 319 लोगों को मौत के घाट उतरना पड़ा. इस तरह देखें तो वर्ष 2019 में 1147, 2020 में कोरोना के दौरान 893 व 2021 में 1050 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में चली गई. फरवरी तक ये आंकड़ा 84 मौतों का है. इस तरह कुल 3174 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं ने ले ली.

हिमाचल में सड़कों पर 203 ब्लैक स्पॉट की पहचान: हिमाचल पुलिस ने सड़क दुर्घटनाओं का डाटा बेस तैयार करने के लिए रोड एक्सीडेंट मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया है. हादसों के ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश में सभी सड़कों पर 195 व 203 ब्लैक स्पॉट की पहचान (black spots on the roads in himachal) की गई. ये 2019 से हुए सड़क हादसों के आधार पर की गई है. हिमाचल में तीन साल में दुर्घटनाओं के प्रति 1320 संवेदनशील स्पॉट पहचाने गए हैं. इसके अलावा 2685 पोटेंशियल ब्लैक स्पॉट हैं यानी जहां दुर्घटना के आसार हैं.

हिमाचल में सड़क हादसे.

हिमाचल में रोड सेफ्टी पर 2019-20 में 40 करोड़ रुपए खर्च: रोड सेफ्टी फंड में वर्ष 2019-20 में 40 करोड़ रुपए खर्च किए गए. इसी तरह 2020-21 में इस मद में 40.15 करोड़ की रकम खर्च की गई. इस बार रोड सेफ्टी फंड के लिए 50.50 करोड़ की रकम रखी गई है. हादसों को रोकने के लिए लोक निर्माण विभाग ब्लैक स्पॉट ठीक करता है. पुलिस विभाग की जिम्मेदारी जागरूक करना है. लेकिन हिमाचल में लापरवाही से वाहन चलाने के कारण अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं.

क्या कहते हैं परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर: हिमाचल के परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर (Transport Minister Bikram Thakur On Road Accident In Himachal) का कहना है कि पुलिस विभाग के साथ निरन्तर सम्पर्क कर दुर्घटनाओं को रोकने का प्रयास किया जाता है. डीजीपी संजय कुंडू (DGP Sanjay Kundu on Road Accident In Himachal ) के अनुसार पुलिस जागरूकता अभियान चलाती है और नियमों का उल्लंघन करने पर चालान काटा जाता है.

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