शिमला:हिमाचल प्रदेश मां चिंतपूर्णी, मां नैना देवी, मां ज्वालामुखी, मां चामुंडा और मां बज्रेश्वरी देवी की पावन भूमि है. इन सभी मंदिरों को मां लक्ष्मी का भी अटूट वरदान हासिल है. नवरात्र के समय देश और दुनिया से मां के भक्त दर्शन के लिए आते हैं और श्रद्धा अनुसार सोना-चांदी तथा नकदी भेंट करते हैं. हिमाचल के मंदिरों में खरबों रुपए की संपत्ति है. मां चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट के पास 100 करोड़ रुपए से भी अधिक की एफडी है. इसके अलावा मंदिर के पास 1.98 क्विंटल से अधिक सोना है. हिमाचल के शक्तिपीठों सहित कुल 35 मंदिर सरकार के अधिग्रहण में हैं. इन मंदिरों के पास बेशुमार संपत्ति है. ट्रस्ट के जरिए जनसेवा के कार्य भी होते हैं.
वर्ष 2018 में हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया था कि 10 साल में हिमाचल के 12 मंदिरों में 361 करोड़ रुपए का चढ़ावा आया. हिमाचल में कोरोना संकट के दौर में मंदिरों ने दिल खोलकर सरकार की मदद की. समय-समय पर मुख्यमंत्री राहत कोष में अंशदान किया गया. जरूरत के समय सभी मंदिरों से 15 करोड़ रुपए से अधिक की रकम मुख्यमंत्री राहत कोष में दी गई. जिस समय कोरोना संकट आया तो लॉकडाउन की वजह से सरकार के भी हाथ पांव फूल गए. ऐसे समय में मंदिर सहारा देने के लिए आगे आए. 2020 में मार्च महीने में लॉकडाउन लग गया. उस समय सबसे पहले देश के विख्यात शक्तिपीठ मां चिंतपूर्णी मंदिर व बाबा बालकनाथ मंदिर ट्रस्ट ने सरकारी खजाने में पांच-पांच करोड़ रुपए का अंशदान दिया.
इसी तरह बिलासपुर से मां नैना देवी ट्रस्ट ने 2.50 करोड़ रुपए व कांगड़ा जिले के विख्यात शक्तिपीठ मां ज्वालामुखी मंदिर ने (Shaktipeeth Maa Jwalamukhi Temple) एक करोड़ रुपए का अंशदान किया. कांगड़ा के ही शक्तिपीठ बज्रेश्वरी देवी मंदिर ने पचास लाख रुपए दिए. शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर ने 25 लाख रुपए की आहुति डाली. हिमाचल के ग्रामीण इलाकों के मंदिर भी इस सेवा यज्ञ में पीछे नहीं रहे. मंडी के विख्यात देव कमरूनाग मंदिर प्रबंधन ने 11 लाख रुपए दान किए थे. हमीरपुर के गसोता महादेव मंदिर ने 10 लाख रुपए व मंडी से अन्य देवी-देवताओं ने 7.51 लाख रुपए भेंट किए. मंडी के मगरू महादेव छतरी ने एक लाख रुपए, ममलेश्वर महादेव मंदिर करसोग, तेबणी महादेव मंदिर ने एक लाख रुपए, मूल माहूंनाग मंदिर एक लाख रुपए भेंट किए हैं. मंडी जिले के सभी मंदिरों से कुल 22.51 लाख रुपए सीएम रिलीफ फंड में दिए गए.
वहीं, किन्नौर के मूरंग मंदिर प्रबंधन ने 1.20 लाख रुपए, कुल्लू के रघुनाथ मंदिर ने एक लाख रुपए, कुल्लू के आनी के मंदिर भझारी कोट व बूढ़ी नागिन मंदिर ने 1.52 लाख रुपए का अंशदान भेंट किया. ऊपरी शिमला के नावर क्षेत्र के देवता महाराज नारायण ने 1.51 लाख रुपए. नावर क्षेत्र के ही रुद्र देवता महाराज ने 2 लाख रुपए, देवता साहिब गोली नाग पुजारली ने 1.51 लाख रुपए, देवता बौंद्रा महाराज ने अपने खजाने से दो लाख रुपए कोविड सॉलिडेरिटी फंड में दान दिए. शिमला जिले के ठियोग में के चिखड़ेश्वर महादेव मंदिर ने 11 लाख रुपए. कुफरी की जयेश्वरी देवी धरेच मंदिर समिति ने 1.11 लाख रुपए व कुफरी के नवदुर्गा मंदिर ने 51 हजार रुपए दिए. सोलन जिले के अर्की में बनिया देवी मंदिर की दुर्गा मंदिर समिति ने 1.25 लाख रुपए भेंट किए थे.
सबसे संपन्न है मां चिंतपूर्णी का दरबार-ऊना जिले में शक्तिपीठ मां चिंतपूर्णी (Shaktipeeth Maa Chintpurni) का दरबार सबसे संपन्न है. मंदिर के पास 100 करोड़ रुपए से अधिक की एफडी, 2 करोड़ से अधिक की नकदी और 2 क्विंटल से कुछ ही कम सोना है. यही नहीं मंदिर के पास 72 क्विंटल के करीब चांदी भी है. हिमाचल में सरकारी अधिग्रहण के तहत 35 मंदिर हैं. मां नैना देवी के पास भी खजाने की कमी नहीं है. मंदिर के पास 58 करोड़ रुपए से अधिक की एफडी व एक क्विंटल से अधिक सोना है. बिलासपुर जिले के शक्तिपीठ मां श्री नैनादेवी के खजाने में 11 करोड़ रुपए से अधिक नकद, 58 करोड़ रुपए से अधिक एफडी के तौर पर है. मंदिर के पास एक क्विंटल 80 किलो सोना और 72 क्विंटल से अधिक की चांदी है.