शिमला: पुलिस विभाग से रिटायर हवलदार धर्मसुख बेटी की इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने काे मजबूर हैं. शिमला में मीडिया से रूबरू होते हुए धर्मसुख ने कहा कि उनकी बेटी को सांस लेने में तखलीफ हाेने के कारण चंडीगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है. उसने कहा कि बेटी के इलाज में करीब आठ लाख रुपए खर्च हो चुके हैं, अभी एक जरूरी टेस्ट करवाना है उसके लिए 1 लाख 80 हाजर रुपए चाहिए. धर्मसुख ने अपना जीपीएफ निकालने के लिए अप्लाई किया लेकिन प्रक्रिया पूरी होने में काफी समय लग रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कहा गया कि मेडिकल क्लेम के तहत ये राशि मिलेगी, लेकिन पुलिस हेडक्वार्टर के चक्कर काटने के बावजूद भी मदद नहीं मिल पा रही है. जीपीएफ के लिए भी आवेदन दिया गया है, वो भी विभाग की ओर से नहीं दिया जा रहा है. धर्मसुख का कहना है कि अगर उन्हें समय पर सहायता नहीं मिली ताे बेटी का इलाज नहीं हो पाएगा. धर्मसुख नेगी का कहना है कि वह 1988 में पुलिस में सिपाही भर्ती हुआ था ओर 2012 में हवलदार बन गया
धर्मसुख 2020 जुलाई में पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त (retired from police department) हो गए हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बिधायक जगत सिंह नेगी को भी अपनी पीड़ा सुनाई लेकिन उन्होंने विधानसभा में व्यस्त होने का हवाला दिया. धर्मसुख का कहना है कि वह भीख नही मांग रहा अपना पैसा जो जीपीएफ में जमा किया है उसके लिए हाथ पांव जोड़ रहा है लेकिन पुलिस हेडक्वर्टर (Police Headquarters) से लेकर सचिवालय, विधानसभा तक चक्कर काट लिया कोई नहीं सुन रहा है. उधर अस्पताल से उसकी पत्नी फोन कर रही है कि डॉक्टर यहां टेस्ट के लिए पैसे मांग रहे हैं. उन्होंने डीजीपी व सरकार ने मांग की है कि कृपया उनके जीपीएफ को जल्दी दिलवा दें जिससे वह अपनी बेटी का समय पर इलाज करवा सकें.