शिमला:प्रदेश की राजधानी शिमला में वर्ष 1888 में बना इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी का मरम्मत कार्य शुरू हो गया है. हिमाचल की एक ऐतिहासिक धरोहर का करीब 132 साल बाद जीर्णोद्धार होगा. इस धरोहर के जीर्णोद्धार पर 66 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
जीर्णोद्धार कार्य की आधारशिला गुरुवार को रखी गई है और जीर्णोद्धार का काम भी शुरू हो गया है. 1888 में बने इस ऐतिहासिक भवन की हालत खस्ता हो चुकी है जिसके चलते वाईसरीगल लॉज जीर्णोद्धार के कार्य का प्रस्ताव तैयार किया गया था. जीर्णोद्धार कार्य का रास्ता अब साफ हो गया है और इसके लिए बजट भी मंजूर हो गया है. जीर्णोद्धार का काम गुरुवार से शुरू कर दिया गया है. जीर्णोद्धार के लिए 66 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं.
भवन के जीर्णोद्धार का कार्य अलग-अलग चरणों में होगा जिसमें पहले चरण में इसके किचन विंग का काम गुरुवार से शुरू हुआ है. इस विंग की मरम्मत पर 12 करोड़ खर्च किए जाएंगे. किचन विंग के काम को 2022 तक दो साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वहीं, पूरे परिसर का काम 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जिस पर 66 करोड़ खर्च होगा.
संस्थान के इस जीर्णोद्धार कार्य के बारे में संस्थान के निदेशक प्रो.मकरंद आर परांजपे ने जानकारी देते हुए कहा कि हैरिटेज बिल्डिंग होने के नाते इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी का काम एएसआई की देखरेख में होगा. ऐसा करने से बिल्डिंग की ऐतिहासिक पहचान को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में 50 फीसदी लेबर के साथ काम शुरू किया गया है. इस भवन का निर्माण सीपीडब्ल्यूडी की देखरेख में हैरिटेज कंसल्टेंट द्रोण ओर एपीकॉम जो मुंबई की कंसल्टेंट कंपनी है वह भी इस कार्य में सहयोग करेगी.