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महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठा राजीव गांधी पंचायतीराज संगठन, सरकार से की ये मांग

सेब के गिरते दामों को लेकर कांग्रेस लगातार जयराम सरकार पर जुबानी हमला कर रही है. इसी कड़ी में राजीव गांधी पंचायती राज संगठन द्वारा रिज मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे सरकार के खिलाफ मौन प्रदर्शन किया गया. संगठन के प्रदेश संयोजक दीपक राठौर ने कहा कि सेब के लगातार गिर रहे दाम बागवानों की चिंता को बढ़ा रहे हैं. संगठन ने सरकार से बागवानों के हितों की रक्षा करने की मांग की है.

Rajiv Gandhi Panchayati Raj Organization protest in shimla
धरने पर बैठा राजीव गांधी पंचायतीराज संगठन

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Published : Sep 7, 2021, 3:31 PM IST

शिमला: सेब के गिरते दामों पर सियासत अभी भी जारी है. कांग्रेस पार्टी प्रदेश सरकार पर लगातार हमलावर है. इसी के तहत राजीव गांधी पंचायती राज संगठन से जुड़े पदाधिकारियों ने रिज मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बागवानी से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ मौन प्रदर्शन किया. संगठन ने सरकार से एपीएमसी एक्ट बनाने और आढ़तियों को लूट से बचाने के लिए आर्थिक अपराध शाखा का गठन करने की मांग की है.


संगठन के प्रदेश संयोजक दीपक राठौर ने कहा कि राजीव गांधी पंचायती राज संगठन समय-समय पर प्रदेश से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को उठाता रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली सेब की आर्थिकी आज खतरे में है. सेब के लगातार गिर रहे दामों से बागवानों की चिंता बढ़ने लगी है. ऐसे में संगठन ने प्रदेश सरकार से हिमाचल में सेब पर विधेयक लाने की मांग की है और अपनी मांग को लेकर सरकार को ज्ञापन भी सौंपा है.

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दीपक राठौर ने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से विधेयक को लेकर उन्होंने सरकार को सुझाव भी दिए हैं. उन्होंने आढ़तियों को लूट से बचाने के लिए आर्थिक अपराध शाखा बनाने की मांग की है. एपीएमसी द्वारा आढ़तियों पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही है, इसका भी समाधान निकाला जाए. एपीएमसी एक्ट में संशोधन के लिए विधेयक लाया जाए और एपीएमसी का सारा बजट बागवानी क्षेत्र के ढांचागत विकास, कोल्ड स्टोर, CA स्टोर व प्रोसेसिंग प्लांट पर ही खर्च किया जाए.

दीपक राठौर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सेब की आर्थिकी लगभग 5000 करोड़ है. सरकार इसको हल्के में न ले. इन सब समस्याओं के निवारण के लिए सरकार बागवानी संबंधित एक विधेयक लाए ताकि ये सब कानून के दायरे में आ सकें ताकि बागवानों के हितों की रक्षा की जा सके.

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