शिमला/चंडीगढ़: युवा क्रिकेटर राज अंगद बावा (cricketer raj angad bawa) आज किसी पहचान का मोहताज नहीं रह गया है. महज 19 साल की उम्र में अंगद कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुका है. हाल ही में हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में राज अंगद बावा ने शानदार प्रदर्शन किया. अंगद खेल मैदान में जितनी बेहतरीन बल्लेबाजी करते हैं, उतनी ही बेहतरीन गेंदबाजी भी करते हैं. ईटीवी भारत ने युवा खिलाड़ी के पिता और कभी सिक्सर किंग युवराज सिंह को कोचिंग देने वाले सुखविंदर सिंह बावा (coach sukhwinder singh bawa) से खास बातचीत की है.
आईपीएल नहीं, रणजी पर ज्यादा फोकस-ईटीवी भारत से बात करते हुए चंडीगढ़ क्रिकेट टीम (chandigarh cricket team) के कोच सुखविंदर सिंह बावा ने कहा कि अंडर-19 वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अंगद का चयन आईपीएल में हो गया है. पंजाब की टीम ने उसे 2 करोड़ में खरीदा है, लेकिन फिलहाल हमारा ध्यान आईपीएल की तरफ नहीं है. आईपीएल को शुरू होने में अभी करीब डेढ़ महीने का वक्त है. उसकी तैयारी बाद में की जाएगी. अंगद 17 फरवरी से शुरू हो रही रणजी ट्रॉफी में चंडीगढ़ की सीनियर टीम के साथ खेलेगा. इसलिए हमारा पूरा ध्यान घरेलू सीरीज में ही उसके बेहतर प्रदर्शन पर रहेगा.
बचपन में पंजाबी गानों पर डांस का था शौक-अंगद के पिता सुखविंदर सिंह बावा ने बताया कि बचपन में अंगद को क्रिकेट से कोई खास लगाव नहीं था. 10-11 साल की उम्र तक उसे सिर्फ पंजाबी गानों पर डांस करने का शौक था, लेकिन एक बार वह अंगद को धर्मशाला ले गए. जहां पर स्टेडियम में उन्होंने अंगद को एक क्रिकेट मैच दिखाया. इस मैच में वह एक टीम के कोच थे. उस मैच को देखने के बाद अंगद में क्रिकेट के प्रति दिलचस्पी पैदा हुई और तब से अंगद ने क्रिकेट खेलना शुरू किया.
पिता से ही अंगद को मिल रही कोचिंग-अंगद से जुड़ी खास बात यह भी है कि उनके पिता ही उनके कोच हैं. उनके पिता ही बचपन से उन्हें क्रिकेट के गुर सिखाते आ रहे हैं. इन दोनों रिश्तो में एक बारी की लकीर होती है उन्हें अंगद का पिता की तरह ध्यान भी रखना होता है और कोर्ट की तरह यह भी देखना होता है इसकी कोचिंग में कोई कमी ना रहे. उन्होंने कहा कि वे और अंगद एक दूसरे को अच्छी तरह से समझते हैं. इसीलिए कोचिंग में ज्यादा परेशानी नहीं आती.
पिता और बेटे में क्रिकेट का जुनून-उन्होंने कहा कि उनकी पूरी कोशिश रहती है कि वह कोच के तौर पर उन्हें क्रिकेट के गुर सिखाते रहें, लेकिन वह इस बात को भी नहीं भुलते कि उन्हें एक पिता की तरह उसका ख्याल भी रखना है. उन्होंने कहा कि वह भी ताउम्र क्रिकेट से जुड़े रहे हैं. क्रिकेट उनका भी जुनून रहा है और क्रिकेट अंगद का भी जुनून है. इसीलिए मैदान पर खेलते हुए उन्हें कोई परेशानी नहीं आती. दोनों एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझते हैं. इसलिए कोचिंग में कभी कोई दिक्कत नहीं आई.