शिमला : हिमाचल प्रदेश की जेलों में बंद कैदी विभिन्न कार्यों से हर साल करोड़ों रुपए कमा रहे हैं. जेल सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयास रंग ला रहे हैं. बेकरी उत्पादों से लेकर बुनकर के काम में लीन कैदी अब स्कूली बच्चों की वर्दी सिलने के लिए भी तैयार हैं. कैदियों की इस सक्रियता का सदुपयोग करते हुए जेल विभाग ने हिमाचल के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष ये प्रस्ताव रखा कि उन्हें स्कूली वर्दियां सिलने का काम दिया जाए. इससे पहले कैदी पुलिस के अफसरों की वर्दियां भी सफलता से सिल चुके हैं. जानकारी के मुताबिक बंदियों को डेढ़ करोड़ वार्षिक वेतन दिया गया हैं.
अब जेल विभाग के अधिकारियों ने शिक्षा विभाग के समक्ष वर्दी का काम कैदियों के हवाले करने का प्रस्ताव रखा है. जेल सुधार के तहत हर हाथ को काम के मंत्र पर चल रहा है.यदि स्कूली वर्दी सिलने का काम मिलेगा तो उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. जेल विभाग के राजस्व में भी इससे बढ़ोतरी होगी. प्रदेश सरकार द्वारा स्मार्ट वर्दी आवंटन में हो रही देरी के बीच शिक्षा विभाग से जेल विभाग के अधिकारियों ने उन्हें वर्दी का काम सौंपने का आग्रह किया.
इस प्रस्ताव को माने जाने की स्थिति में प्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थी जेल बंदियों के हाथों से बनी वर्दी पहन सकेंगे. सरकार द्वारा जेल विभाग को वर्दी का काम सौंपे जाने की स्थिति में बंदियों को नियमित काम मिलने से होने वाली आमदनी से वे परिवार के भरण पोषण में और अधिक योगदान दे सकेंगे. यहां बता दें कि जेलों में बंद कई कैदी ऐसे हैं, जो परिवार की रोजी -रोटी का इंतजाम करने वाले अकेले व्यक्ति है. प्रदेश के कारागारों में बंदियों को व्यस्त रखने व कारागार से बाहर निकलने के बाद उन्हें रोजी -रोटी कमाने में सक्षम बनाने के मकसद से जेल विभाग ने हर हाथ को काम के सूत्र वाक्य को अपनाया. जेल विभाग के प्रयासों का ही नतीजा है कि कैदी बेकरी के सामान के अलावा फर्नीचर बना रहे. कपड़े की सिलाई का काम भी करते हैं. कैदी अब सिलाई व कढ़ाई के काम में काफी निपुण हो गए.