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मानसिक रोगों का इलाज सभी के सहयोग और सकारात्मक भाव से संभव: राज्यपाल

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021 के अवसर पर शिमला के मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्यतिथि पहुंचे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि, मानसिक दुर्बलता उस व्यक्ति की नहीं होती है जो पीड़ित है, बल्कि उस समाज की होती है जो ऐसी परिस्थिति पैदा करता है. उन्होंने कहा कि मानसिक रोगों का इलाज सभी के सहयोग और सकारात्मक भाव से संभव है.

राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

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Published : Oct 10, 2021, 7:59 PM IST

शिमला:शिमला के मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. कार्यक्रम में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. उन्होंने कहा कि मानसिक रोगों का इलाज सभी के सहयोग और सकारात्मक भाव से संभव है. मानसिक रोगियों के लिए काउंसलिंग अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के आयोजन के पीछे की भावना समझने और उसके अनुरूप काम करने की जरूरत है.

राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि, मानसिक दुर्बलता उस व्यक्ति की नहीं होती है जो पीडि़त है, बल्कि उस समाज की होती है जो ऐसी परिस्थिति पैदा करता है. उन्होंने कहा कि वह गोआ राज्य में मानसिक रोगियों के उपचार के लिए अस्पताल चला रहे हैं, इसलिए वह इस परिस्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं. समाज में आ रही विकृतियों के कई कारण हो सकते हैं, उन पर विचार होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि, जिस परिवार पर यह मुश्किल आती है, उनके लिए कितना कठिन होता है, इस पर चिंतन किया जाना चाहिए. स्कूली स्तर पर बच्चों को परामर्श सेवाएं मिलनी चाहिए, क्योंकि यदि ठीक समय पर परामर्श सेवाएं नहीं मिली तो बच्चा डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है. राज्यपाल ने कहा कि, इस समस्या का समाधान एक दिन का नहीं है, इसके लिए निरंतर प्रयास करने और एकजुट प्रयास करने की जरूरत है. इस अवसर पर राज्यपाल ने अस्पताल में उपचाराधीन व्यक्तियों से बातचीत की.


वहीं, हिमाचल रेडक्रॉस अस्पताल कल्याण शाखा की अध्यक्ष डॉ. साधना ठाकुर ने कहा कि, मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है, जितना शारीरिक स्वास्थ्य. आज के भौतिक युग में हम अपनी खुशियां बाहर ढूंढते हैं, जो स्थाई नहीं हैं. इसी कारण हम अपने आप को और रिश्तों को समझ नहीं पा रहे हैं. यही कारण है कि परिवार भी ऐसी स्थिति में सहयोग नहीं करता है, जो चिंता की बात है.

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