शिमला: प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते लगाए कर्फ्यू में सरकार ने राहत दी है. इसके चलते अनलॉक-1 के पहले चरण में हिमाचल सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए बसों को चलाने की घोषणा की, जिसके बाद 1 जून से प्रदेश में बसें चलना शुरू भी हो गईं. वहीं, कम सवारियों के बसों में सफर करने से बसों की कमाई पर भी असर पड़ रहा है.
प्रदेश में निजी बस संचालकों ने बसें चलाना बंद कर दी हैं. प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 60 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने की अनुमति दी है. ऐसे में निजी बस ऑपरेटर को 40 प्रतिशत सीटों का घाटा हो रहा है जो कि प्रदेश सरकार को वहन करना चाहिए.
रमेश कमल ने कहा कि इसके अलावा जब सरकार की तरफ से 60 प्रतिशत सवारियां उठाने की ही अनुमति है तो फिर इंश्योरेंस भी 60 प्रतिशत सवारियों की ही ली जानी चाहिए जबकि वर्तमान में सौ प्रतिशत सवारियों की इंश्योरेंस ली जा रही है .
रमेश कमल ने बताया कि 60 प्रतिशत सवारियों के साथ बस चलाने में बस ऑपरेटर्स को नुकसान हो रहा है जिसके लिए सरकार को उचित फैसला लेना चाहिए. परिवहन मंत्री ने बस ऑपरेटरों को आश्वासन दिया था कि वह बसें चलाएं और 1 सप्ताह बाद समीक्षा बैठक होगी. इसमें बसों के घाटे का आंकलन किया जाएगा.