हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

काले कानूनों की वापसी किसानों की बड़ी जीत, प्रदेश सरकार भी मांगों पर दे ध्यान: संयुक्त किसान मंच - संयुक्त किसान मंच शिमला

संयुक्त किसान मंच (sanyukt kisan manch) ने कहा कि काले कानूनों की वापसी (Agricultural laws withdrawn) किसान आंदोलन की बड़ी जीत है. मंच का कहना है कि केंद्र के बाद प्रदेश सरकार (state government) भी किसानों-बागबानों की मांगों पर ध्यान दें वरना, जिस तरह सरकार उप चुनावों में हारी है उसी तरह आगामी विधानसभा चुनावों (assembly elections) में भी सरकार को हार का सामना करना पड़ेगा.

sanyukt kisan manch
Agricultural laws withdrawn

By

Published : Nov 20, 2021, 4:45 PM IST

Updated : Nov 20, 2021, 5:29 PM IST

शिमला: किसानों के दबाव में आकर मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस (Agricultural laws withdrawn) लेने की घोषणा की है. आजादी के बाद यह दूसरा बड़ा आंदोलन (protest) है, जिसमें सात सौ किसानों ने जान की कुर्बानी दी है. यह बात शिमला में संयुक्त किसान मंच (sanyukt kisan manch) के संयोजक हरीश चौहान (Convenor Harish Chauhan) ने कही. मंच ने साफ कर दिया है कि जब तक कानून को संसद में निरस्त नहीं किया जाता है और एमएसपी (MSP) पर कानून नहीं बनता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

संयुक्त किसान मंच (sanyukt kisan manch) के संयोजक हरीश चौहान ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि इस आंदोलन के दौरान अनेक तमगे किसानों को दिए गए, लेकिन किसानों ने हार नहीं मानी. उन्होंने मोदी सरकार (Modi government) से सवाल किया है कि इस आंदोलन में 700 लोगों की शहादत को सरकार क्या पहले रोक नहीं सकती थी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संबोधन में कहा कि सरकार किसानों को समझा नहीं पाई, लेकिन वास्तविकता में किसान तो पहले ही समझ गए थे, लेकिन प्रधानमंत्री ही नहीं समझ पाए.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (Prime minister) के समझने के बाद अब प्रदेश के मुख्यमंत्री की बारी है. उप चुनाव में चार सीट हारे हैं, लेकिन 2022 के चुनाव सामने हैं. उन्होंने कहा कि किसानों ने 15 सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा था, लेकिन किसानों की मांग पर प्रदेश सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर की तर्ज पर सेब MIS पर खरीदने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है. वहीं, प्रदेश में किसानों को खाद की भारी कमी है. किसानों को कहीं भी खाद नहीं मिल रही है और जहां मिल रही है वह बहुद महंगी है. उन्होंने कहा कि खाद पर सब्सिडी के सारे दावे हवा हो गए हैं. सरकार को इस पर गौर करने की जरूरत है.

संयुक्त किसान मंच (sanyukt kisan manch) के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि भूमि अधिग्रहण (Land acquisition) में जो मुआवजा मिलता है वह दूसरे प्रदेशों की तुलना में काफी कम है. इसको लेकर संयुक्त किसान मंच, भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के साथ मिलकर 14 दिसम्बर को विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter session of the Legislative Assembly) का घेराव करेगी.

ये भी पढ़ें:हिमाचल को पंजाब से नहीं केंद्रीय वेतन आयोग से जोड़े राज्य सरकार: अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ

Last Updated : Nov 20, 2021, 5:29 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details