शिमला:छठे वेतन आयोग के लागू होने से हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों को भारी नुकसान हुआ (Himachal Pradesh Joint Employees Federation) है. यह पहला मौका है कि जब मूल वेतन के मामले में हिमाचल सरकार ने पंजाब को लागू नहीं किया है. इसके खिलाफ हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ लगातार प्रयासरत है. यह बात शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान ने (Himachal Joint Employees Federation PC) कही.
उन्होंने कहा कि पिछले कल शुक्रवार को इसी सिलसिले में कर्मचारी महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रमोद सक्सेना से उनके कार्यालय में भी मिला. प्रतिनिधिमंडल ने सभी बातों पर चर्चा कर अभी तक की स्थिति को जानने का प्रयास किया और अभी तक इस संदर्भ में कोई कार्रवाई न होने पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो कमेटी गठित की है, उस कमेटी की ना तो कोई बैठक हुई है और ना ही उसमें कोई आगामी कार्रवाई हो पाई है.
वीरेन्द्र चौहान ने कहा कि बैठक न होने की वजह से जो हमारी मांगे है , जिसमें 2 साल के राइडर को खत्म करना और इनिशियल स्टार्ट की बहाली करना, जो कि 27 सितंबर 2012 की अधिसूचना के कारण वेतन संशोधन के दौरान लगाई गई थी, जो कि पंजाब से हटकर (Himachal Pradesh Joint Employees Federation) थी. उसे हटाने के लिए अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है. साथ ही साथ 4-9-14 टाइम स्केल जिसको लेकर महासंघ मांग कर रहा था, इस संदर्भ में दिनांक 26-2- 2013, 7-7-2014 और 9-9-2014 की अधिसूचना को समाप्त कर 2009 की अधिसूचना के अनुसार 4-9-14 की बहाली कर सभी कर्मचारियों को उसका लाभ देकर वर्तमान फिक्सेशन में उसकी गणना कर उसका लाभ देने की मांग की गई है. जिस पर वित्त विभाग की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.