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नहीं टूटेगी वर्षों से चल रही परंपरा, इस बार भी दशहरे पर जाखू में होगा रावण दहन - शिमला न्यूज

कोविड-19 के संकट के बीच भी जाखू मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी रावण दहन किया जाएगा और बुराई पर अच्छाई का पर्व दशहरा मनाया जाएगा. मंदिर प्रबंधन की और जिला प्रशासन की ओर से मात्र रस्म अदायगी के लिए ही यह व्यवस्था मंदिर में कि जा रही है. इस दौरान मंदिर में दशहरे की विशेष पूजा भी कि जाएगी.

Preparations started for Ravan Dahan in Jakhu temple Shimla
जाखू मंदिर

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Published : Oct 24, 2020, 4:57 PM IST

शिमलाः जिला में वर्षों से चली आ रही परंपरा इस बार भी निभाई जाएगी. कोविड-19 के संकट के बीच भी जाखू मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी रावण दहन किया जाएगा और बुराई पर अच्छाई का पर्व दशहरा मनाया जाएगा.

गौर रहे कि रविवार को दशहरा है और इसके लिए जाखू मंदिर में रावण मेघनाद और कुंभकरण के पुतले बनाये जा रहे हैं. इससे पहले इन पुतलों को बनाने के लिए कारीगर बाहर से नहीं आते थे, लेकिन इस बार लोकल कारीगर ही इन पुतलों को तैयार कर रहे हैं. पुतलों को कल तक बनाकर तैयार कर लिया जाएगा और शाम को रावण दहन जाखू मंदिर में किया जाएगा.

पुतले तैयार करते कारीगर.

बता दें कि इस बार यह पुतले 15 से 16 फीट के ही बनाए जा रहे है. इसके पीछे की वजह यह है कि मंदिर में जिस भव्य तरीके से दशहरा पर्व का आयोजन होता था वह इस बार कोविड की वजह से नहीं हो रहा है.

जाखू में रावण दहन की तैयारियां शुरू.

मात्र रस्म अदायगी और वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करने के लिए पुतले यहां बनाए जा रहे हैं. दशहरे पर भी लोगों को यहां आने की अनुमति नहीं होगी. मात्र मंदिर पुजारी ही यहां पुतला दहन करेंगे.

वीडियो रिपोर्ट.

रविवार को शाम 5 बजकर 49 मिनट पर सूर्य अस्त से पहले पुतला दहन किया जाएगा. हालांकि इससे पहले जिला प्रशासन की ओर से यह कहा गया था कि इस बार कोविड की वजह से ना तो रामलीला होगी और ना ही दशहरा मनाया जाएगा, लेकिन अब जाखू मंदिर में रावण के पुतले तैयार किए जा रहे हैं.

मंदिर प्रबंधन की और जिला प्रशासन की ओर से मात्र रस्म अदायगी के लिए ही यह व्यवस्था मंदिर में कि जा रही है. इस दौरान मंदिर में दशहरे की विशेष पूजा भी कि जाएगी. जाखू मंदिर का दशहरा पूरे शहर में प्रसिद्ध है. यहां हर बार दशहरे पर भव्य आयोजन किया जाता है. यहां 40 से 45 फीट के पुतले तैयार किए जाते है. इन पुतलों को बनाने के लिए कारीगर बाहर से आते थे.

पुतलों को बेहद ही आकर्षक तरीके से तैयार किया जाता था और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पुतला दहन रिमोट का बटन दबाकर मुख्यमंत्री करते थे, हजारों की संख्या में लोग यहां दशहरा देखने के लिए आते थे. इस बार इस तरह की कोई व्यवस्था मंदिर में नहीं है ओर ना ही कोई आयोजन किया जा रहा है.

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