शिमला:पांच राज्यों में चुनाव के बाद क्या हिमाचल में सत्ता और संगठन का चेहरा बदलेगा? यह सवाल सत्ता के गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर (Cabinet reshuffle in Himachal) कह चुके हैं कि ऐसी संभावनाएं हमेशा रहती हैं. उपचुनाव में हार के बाद सुगबुगाहट हुई थी कि संगठन और सरकार में फेरबदल हो सकता है. हिमाचल में इस समय भाजपा में पार्टी मुखिया (Himachal BJP President) के रूप में दलित चेहरा सुरेश कश्यप हैं.
उनके अध्यक्ष बनने के बाद हुए नगर निगम निकाय और उप चुनाव (Himachal by election) में भाजपा को करारी हार का स्वाद चखना पड़ है. ऐसे में क्या पार्टी उनके नेतृत्व में मिशन रिपीट के लिए आगे बढ़ेगी? यह सवाल भी बार-बार पार्टी के सामने आ रहा है. उपचुनावों में करारी हार के बाद आलाकमान भी दबाव में प्रदेश में हुए तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद से ही आलाकमान भी सख्त निर्णय को लेकर दबाव में है. हालांकि उपचुनाव हुए कुछ अर्सा जरूर बीत गया है. उस वक्त मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हार के लिए महंगाई और पार्टी में दगाबाजी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था.
ऐसे में इन भीतरघातियों पर भी अभी तक पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हार के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सख्त लहजे में पार्टी निर्देशानुसार कार्य नहीं करने वाले नेताओं को चेतावनी दी थी. उपचुनाव में जुब्बल-कोटखाई सीट पर भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी. हालांकि वहां पर पार्टी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को निष्कासित जरूर किया है, लेकिन चुनावों के बाद करारी हार के लिए जिम्मेदार नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसके अलावा फतेहपुर और अर्की में भी हार के लिए जिम्मेदार और पार्टी के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं करने वाले नेताओं के खिलाफ पार्टी की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे में अगर यूपी चुनावों के बाद संगठन और सरकार में कोई फेरबदल होता है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी.
इग्नोर नेता और कार्यकर्ताओं का रोष भी हाईकमान के ध्यान में:सत्ता में सक्रिय भाजपा नेताओं के अलावा प्रदेश में भाजपा के ऐसा गुट है जिसकी पिछले चार साल से वर्तमान सरकार में किसी प्रकार की भागीदारी नहीं है. प्रदेश में ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की लंबी लिस्ट है. यह नेता लगातार पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी बात भी किसी ना किसी माध्यम से पहुंचाते आए हैं. उपचुनाव में काफी हद तक यह बाद खुलकर भी आई है. ऐसे में हाईकमान इन इग्नोर नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी आगामी विधानसभा चुनावों में शामिल करना चाहेगी, ताकि जीत की संभावनाएं बनी रहे. ऐसे में संगठन व सरकार में कुछ नेताओं को शामिल कर भाजपा को और मजबूत करने पर भी हाईकमान फैसला ले सकती है.
नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों पर तलवार: भाजपा संगठन और हाईकमान की तरफ से करवाए गए सर्वे और अन्य माध्यमों से जुटाई जानकारी के अनुसार लिस्ट में शामिल नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों पर तलवार लटकी हुई है. इसके अलावा क्षेत्रीय संतुलन और आगामी चुनावों टिकट आवंटन को ध्यान में रखते हुए भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की तलवार लटकी हुई है. भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस बार बड़ी संख्या में सीटिंग विधायकों के टिकट काटने की तैयारी हो रही है. जिसके चलते मंत्रिमंडल में इसी अनुसार फेरबदल भी हो सकता है.