शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश कई मायनों में देश के सामने मिसाल पेश कर रहा है. साक्षरता के मोर्चे पर झंडे गाड़ने के साथ ही हिमाचल ने संपन्नता की सीढ़ियां भी तेजी से चढ़ी है. हिमाचल प्रदेश ने पूर्व राज्य का दर्जा हासिल करने की स्वर्ण जयंती पूरी कर ली है. 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था तब प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय महज 651 रुपए थी इस समय यह एक लाख 85 हजार सालाना से अधिक है.
इस तरह हिमाचल ने प्रति व्यक्ति आय के मामले में 50 साल में 300 गुणा बढ़ोतरी की छलांग लगाई है. हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय में खेती बागवानी का अहम रोल रहा है. इसके अलावा पर्यटन सेक्टर में भी हिमाचल प्रदेश ने अच्छा काम किया है. यदि वर्ष 2020 में कोविड महामारी न आई होती तो यह आंकड़ा 2 लाख से अधिक हो जाता. हिमाचल प्रदेश में शिमला, मंडी, कुल्लू, किन्नौर, चंबा, लाहौल स्पीति व सिरमौर जिला के इलाकों में सेब उत्पादन होता है. सेब ने हिमाचल को संपन्नता की राह दिखाई है.
साल साल पहले वर्ष 2015 में हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 5 हजार रुपये के करीब थी. दो साल बाद यानी वर्ष 2017 में यह बढ़कर डेढ़ लाख रुपये सालाना हो गई. 2018-19 में यह 176068 रुपए थी. आगामी वित्त वर्ष में यह दो लाख का आंकड़ा पार कर जाएगी. प्रति व्यक्ति आय में हिमाचल से आगे देश के चार राज्य हैं. हिमाचल के पास खुद का आर्थिक संसाधन (Economic Resources in Himachal) बहुत कम हैं. यहां की 90 फीसदी आबादी कृषि बागवानी, पशुपालन से आजिविका कमाती है.
इसके अलावा दो लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं. देश की सेना में भी हिमाचल के वीर अमूल्य योगदान दे रहे हैं. सेना के तीनों अंगों में अफसरों सहित 58 हजार के करीब सैनिक सेवा दे रहे हैं. हिमाचल सरकार के आर्थिक सलाहकार (Economic Advisor to Himachal Government) रहे प्रदीप चौहान का कहना है कि हिमाचल ने प्रति व्यक्ति आय के मामले में निरंतर उन्नती की है.