शिमला:दिल्ली में डॉक्टरों द्वारा शांति पूर्ण तरीके से किए जा रहे संघर्ष को हिंसात्मक तरीके से दबाने की कोशिश, मारपीट और जबरदस्ती डॉक्टरों को संघर्ष स्थल से उठाने को लेकर आईजीएमसी में रैजिडेंट डॉक्टरों ने मार्चा खोल दिया है. आईजीएमसी में रेजिडेंट डॉक्टरों ने वीरवार दोपहर ठीक 12 बजे से वार्डों, ऑपरेशन थियेटर व ओ.पी.डी. में काम करना बंद किया. हालांकि इस दौरान सीनियर डॉक्टरों ने सेवाएं दीं. इस दौरान स्वास्थ्य सेवाएं चरमाराती हुई नजर आईं.
आईजीएमसी में 300 के आसपास रेजिडेंट डॉक्टर हैं, ऐसे में ज्यादातर जिम्मा इन्हीं डॉक्टरों पर रहता है. रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. माधव ने कहा कि लोकतंत्र में हर नागरिक को (Resident Doctors Association himachal) अधिकार है कि वह अपनी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके से रख सकता है, लेकिन इस तरह का बर्बरता पूर्ण रवैया दिल्ली पुलिस ने दिखाया और जबरदस्ती चिकित्सकों को वहां से उठाया गया. यहां तक की महिला चिकित्सकों के साथ भी दुर्व्यवहार और हिंसात्मक रवैया अपनाया गया.
उन्होंने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर पी.जी. काउंसलिंग को जल्द से जल्द करवाने की मांग पिछले डेढ़ महीने से शांतिपूर्ण तरीके कर रहे हैं. इस काउंसलिंग से अगर नए विशेषज्ञ चिकित्सक मेडिकल कॉलेजों में पूरे देश में दाखिल होंगे तो उससे किसको फायदा होगा. जाहिर है कि फायदा जनता को होना है, क्योंकि इस समय पूरा देश करोना कि अगली लहर के कहर के साए में जी रहा है तो फिर यह मांग कैसे अनुचित है. उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि जल्द से जल्द रेजिडेंट डॉक्टर्स जिन पर एफ.आई.आर. हुई है, उन्हें वापस लिया जाए. वहीं, डॉक्टरों के साथ मारपीट हुई है उसको लेकर भी जांच होनी चाहिए.