शिमला: आईजीएमसी में मरीजों को सुविधा देने को लेकर प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. यहां सबसे ज्यादा खराब स्थिति यूरोलॉजी ओटी और ओपीडी की है. जहां पर मरीजों को सुबह से लेकर शाम तक उपचार करवाने में कई तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है. ओटी की हलात इतनी खस्ता है कि यहां पर मरीजों की पर्ची तक ही गायब हो जा रही है. मरीज सुबह से ही ओटी के बाहर उपचार करवाने बैठ जाते हैं, लेकिन शाम में पता चलता है कि उनकी पर्ची अंदर पहुंची ही नहीं है.
शिमला के रहने वाले एक मरीज रमेश का कहना है कि उसे पथरी की शिकायत थी. ऐसे में वह यूरोलॉजी ओटी के बाहर डॉक्टरों से चेकअप करवाने चला गया. उसने अपनी पर्ची भी अंदर दे दी थी. शाम तक इंतजार करता रहा, लेकिन उसका नबंर तक नहीं आया. जब शाम के समय में डॉक्टरों से बात की तो डॉक्टरों ने कहा कि हमारे पास तो आपकी पर्ची ही नहीं है. यहां पर इस तरह की यह पहली शिकायत नहीं है इससे पहले भी कई मरीज शिकायत कर चुके हैं.
यूरोलॉजी में पथरी और किडनी के मरीजों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है फिर भी इस विभाग में प्रशासन की ओर से कोई सुधार नहीं किया जा रहा है. ऐसे में यहां पर मरीज आए दिन दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. बड़ी बात यह है कि दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की निगरानी में आईजीएमसी में अभी तक पांच के किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं. ऐसे में अब तो यहां पर यूरोलॉजी विभाग को और ज्यादा अपग्रेड किया जाना चाहिए था.