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Published : Mar 16, 2021, 1:19 PM IST

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कोरोना काल के बाद आयुर्वेदिक अस्पताल में फिर से शुरू हुआ पंचकर्म, स्टाफ की कमी बनी समस्या

आयुर्वेदक चिकित्सालय रामपुर में पंचकर्म फिर से शुरू हो गया है. पंचकर्म आयुर्वेद का एक प्रमुख शुद्धिकरण एवं मद्यहरण उपचार है. इसकी जानकारी डॉक्टर सुमेश कटोच ने दी.

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फोटो.

रामपुरःकोरोना माहामारी के बाद राजकीय आयुर्वेदक चिकित्सालय रामपुर में पंचकर्म शुरू हो चुका है. पंचकर्म आयुर्वेद का एक प्रमुख शुद्धिकरण एवं मद्यहरण उपचार है. इसकी जानकारी डॉक्टर सुमेश कटोच ने दी.

डॉक्टर सुमेश कटोच ने बताया कि रामपुर के आयुर्वेदिक चिकित्सालय को कोरोना काल के बाद एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है. अभी तक लगभग 70 से 90 लोगों का इस पद्धति द्वारा इलाज किया जा चुका है.

आयुर्वेदिक चिकित्सालय रामपुर के इंचार्ज डॉ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि आयुर्वेदिक अस्पताल में पंचकर्म शुरू कर दिया गया है. स्टाफ की कमी के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

5 से 6 स्टाफ की आवश्यकता

पंचकर्म को सुचारू रूप से चलाने के लिए लगभग 5 से 6 स्टाफ की आवश्यकता रहती है, लेकिन अभी एक या दो स्टाफ ही काम कर रहे हैं. जिस कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या है पंचकर्म ?

बता दें कि पंचकर्म का अर्थ पांच विभिन्न चिकित्साओं का समिश्रण है. इस प्रक्रिया का प्रयोग शरीर को बीमारियों एवं कुपोषण द्वारा छोड़े गए विषैले पदार्थों से निर्मल करने के लिये होता है. पंचकर्म एक प्रक्रिया है. यह 'शोदन' नामक शुद्धिकरण प्रक्रियाओं से संबंधित चिकित्साओं के समूह का एक भाग है.

इन रोगों को करता है पंचकर्म दूर

पंचकर्म के पांच चिकित्सा 'वमन' 'विरेचन, 'नास्य', 'बस्ती' एवं 'रक्त मोक्षण हैं. दोषों को संतुलित करने के समय पांच चिकित्साओं की यह शृंखला शरीर के अंदर जीव विष पैदा करने वाले गहरे रूप से आधारित तनाव एवं रोग को दूर करने में मदद करता है.

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