शिमला: हिमाचल प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ने पर विपक्ष ने चिंता जाहिर की है और सोमवार को विधानसभा मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल के बाद नियम 130 के तहत सदन में चर्चा की मांग की. जिस पर चर्चा की व्यवस्था ना मिलने पर विपक्ष ने सदन में हंगामा किया और सरकार से कोरोना प्रबंधों पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विपक्ष को नसीहत दी है कि वह कोरोना महामारी पर राजनीति न करें. यह बात मुख्यमंत्री ने आज विधानसभा में नियम 130 के तहत कोरोना महामारी से संपूर्ण जनमानस पर पड़े प्रभाव तथा निजात के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर लाई गई चर्चा में हस्तक्षेप के दौरान कही.
जयराम ठाकुर ने कहा कि हमने प्रदेश में कोरोना से लड़ने के हर संभव प्रयास किए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और फ्रंट लाइन वर्करों ने अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया. इसलिए विपक्ष उन्हें हतोत्साहित न करें. मुख्यमंत्री ने माना कि हमारे प्रयासों में कमी होगी, लेकिन वह दूर होनी चाहिए, न कि उस पर राजनीति होनी चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार ने जो प्रचार किया है, उस पर कोरोना से लड़ने के लिए दान में मिले पैसे से खर्च नहीं किया गया है.
इससे पूर्व कांग्रेस सदस्य इंद्रदत्त लखनपाल ने सदन में नियम 130 के तहत कोरोना महामारी से संपूर्ण जनमानस पर पड़े प्रभाव तथा निजात के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर प्रस्ताव सदन में पेश किया. लखनपाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण से निपटने में सरकार असफल रही है. उन्होंने कहा कि हमीरपुर से कोरोना का जो भी केस नेरचौक मेडिकल कॉलेज भेजा जाता था, उनको सही ट्रीटमेंट नहीं मिला और उनकी मौत हो गई. वहां पर मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी और इस कारण उनकी मौत हो गई. उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है और जो उपकरण खरीदे गए, वे भी निम्न स्तर के थे.
विक्रमादित्य सिंह ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि राज्य में कोरोना टीकाकरण जिस गति से होना चाहिए था, वह नहीं हुआ. उन्होंने सरकार पर कोरोना वैक्सीन के प्रचार-प्रसार पर फिजूलखर्ची का भी आरोप लगाया और कहा कि सरकार सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि पहली लहर नेचुरल थी, जबकि दूसरी लहर मैन मेड थी.