शिमला: इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग तनाव और डिप्रेशन के ज्यादा शिकार हो रहे हैं. कोरोना के समय में यह समस्या और ज्यादा बढ़ गई है. ज्यादातर युवा पीढ़ी डिप्रेशन का शिकार हो रही है, लेकिन इस तरह के युवाओं को डिप्रेशन से बाहर निकालने के लिए ऑनलाइन कॉउंलसिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
इस काउंसलिंग की मदद से ही प्रदेश में 15 से 20 युवाओं को तनावमुक्त करने का काम ब्लैक ब्लेंकेट एजुकेशन सोसायटी की ओर से किया जा रहा है. सोसायटी स्ट्रेस और डिप्रेशन से जूझ रहे युवाओं और अन्य लोगों की ऑनलाइन कॉउंसलिंग के माध्यम से मदद कर रही है. लोगों को तनाव से बाहर लाने में विशेषज्ञों की सहायता ली जा रही है.
ब्लैक ब्लेंकेट सोसायटी के पास इन दिनों तनाव और डिप्रेशन से संबंधित फोन कॉल्स की संख्या काफी बढ़ गई है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि तनाव और डिप्रेशन की शिकायत करने वाले अधिकतर युवा हैं. ज्यादातर युवा 15 से लेकर 25 साल तक के हैं. कुछ युवा अपनी पढ़ाई, कुछ अपने घरेलू मसलों और कुछ बेरोजगारी के साथ-साथ कोरोना काल में अपने व्यवसाय में हो रहे नुकसान के कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं.
वहीं, कुछ महिलाओं के फोन कॉल भी काउंसलर्स के पास आए दिन आ रहे हैं. इन मामलों में से ही 15 से 20 मामले ऐसे हैं, जिन्हें ऑनलाइन कॉउंसलिंग की मदद से ही सोसायटी के मनोचिकित्सकों ने तनाव से बाहर निकाला है. सोसायटी की सचिव मीनाक्षी रघुवंशी ने बताया कि उनकी सोसायटी 2009 से ही मेंटल हैल्थ पर काम कर रही है. इसके साथ ही वे स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की मेंटल हेल्थ पर भी काम कर रहे हैं, लेकिन इस समय कोरोनाकाल में बीते दो माह से बढ़ते सुसाइड के मामलों को देखते हुए ऑनलाइन कॉउंलसिंग की यह सुविधा सभी को मुहैया करवाई जा रही है.
मीनाक्षी रघुवंशी का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी अपने रिश्तों, अपनी पढ़ाई और घर की समस्याओं के साथ ही हर क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में खुद को साबित करने के दवाब के साथ ही अन्य बहुत सी वजहों से तनाव में जा रही है. इस तनाव की स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें आ रही है, जिनके पास अपनी बातों को कहने और उन्हें समझने वाले कोई नहीं है.
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