शिमलाः स्ट्रोक के बारे में लोगों को जागरुक करने को लेकर 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे के रुप में मनाया जाता है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे पहचानने या इसे रोकने के बारे में अधिक नहीं जानते हैं. दुनिया में 80 मिलियन लोगों को स्ट्रोक है. 50 मिलियन स्ट्रोक से बचें लोग किसी न किसी तरह की स्थायी विकलांगता के साथ जीते हैं.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार स्ट्रोक मौत का दूसरा प्रमुख कारण है और विश्व स्तर पर विकलांगता का तीसरा प्रमुख कारण है. इतना ही नहीं, स्ट्रोक डेमेंटिया और डिप्रेशन का एक भी प्रमुख कारण है.
इसे लेकर वर्ल्ड स्ट्रोक डे के मौके पर आइजीएमसी शिमला में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि विकासशील देशों में 15 से 20 फीसदी मरीज 40 साल से कम उम्र के युवा हैं.
उन्होंने कहा कि युवाओं में स्ट्रोक होने का मुख्य कारण हृदय रोग का होना, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, शराब और ब्लड प्रेशर का बढ़ना है. उन्होंने कहा कि एशिया में कम उम्र के युवाओ को केलस्ट्रोल हो जाता है, जिससे स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है.
क्या है स्ट्रोक?
स्ट्रोक एक चिकित्सा आपातकाल है जो तब होता है, जब ब्रेन के हिस्से को रक्त की आपूर्ति गंभीर रूप से कम हो जाती है, जिसके चलते ब्रेन के ऊतकों को नुकसान होता है. यह व्यक्ति की उपस्थिति, भाषण, दृष्टि और शरीर के कार्यों को प्रभावित करता है. स्ट्रोक विश्व स्तर पर मृत्यु और विकलांगता का एक प्रमुख कारण है. यह किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है.