शिमला:सरकारी कर्मचारी कानून के प्रावधानों व विभागीय नियमों और निर्देशों से नियंत्रित होते हैं. अनुशासन हर कर्मचारी के लिए अनिवार्य है और यदि कर्मचारी खुद को अनुशासन में रखने के लिए तैयार नहीं है तो जाहिर है विभाग तो वह न केवल अपने नियोक्ता के क्रोध को आमंत्रित करता है बल्कि कम से कम विभागीय रूप से कार्रवाई के लिए भी उत्तरदायी होता है.
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने यह टिप्पणी असिस्टेंट कमिश्नर टैक्सेज एंड एक्साइज के मामले में की जो 6 जनवरी 2019 से 7 मार्च 2019 तक की अवधि का अर्जित अवकाश स्वीकार करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाने की गुहार लगा रही थी. न्यायालय ने आगे कहा कि हर एक कर्मचारी को अपने नियोक्ता के प्रति वफादार व अनुशासित होना चाहिए जिसमें प्रार्थी विफल रही.
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार 2 जनवरी 2019 को प्रार्थी का तबादला बतौर असिस्टेंट कमिश्नर स्टेट टैक्सेज एंड एक्साइज नूरपुर के लिए किया गया था. प्रार्थी ने नूरपुर ज्वाइन करने के बजाए 6 जनवरी 2019 से 7 मार्च 2019 तक अर्जित अवकाश बढ़ाने की राज्य सरकार से प्रार्थना की थी. वह 26 दिसंबर 2018 से 5 जनवरी 2019 तक पहले ही अर्जित अवकाश पर चल रही थी.