शिमला: हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि राजभवन से शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण (hppsc oath ceremony) मिलने के बाद उसे स्थगित किया गया हो. मामला हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (Himachal Pradesh Public Service Commission) के चेयरमैन की हॉट सीट का है. राज्य सरकार ने अध्यक्ष पद के लिए आयोग की वरिष्ठतम सदस्या रचना गुप्ता के नाम पर मुहर लगाई अधिसूचना जारी हो गयी. साथ ही 3 सदस्यों की नियुक्ति सम्बन्धी नोटिफिकेशन भी आई, लेकिन गुरुवार रात को ऐसा घटनाक्रम पेश आया कि शपथ ग्रहण समारोह स्थगित कर दिया गया.
फिलहाल एक बड़ा सवाल ये है कि आयोग के माध्यम से सैकड़ों पद भरे जाने हैं तो ऐसे में नया मुखिया (new chairperson of hppsc ) कौन होगा? इस बाबत शुक्रवार को अवकाश के दिन भी सीएम जयराम ठाकुर ने अफसरों को मीटिंग के लिए बुलाया था. इसी बीच, मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम से आयोग में नियुक्ति सम्बन्धी कांग्रेस के आरोप पर जवाब देते हुए कहा कि भाजपा को विपक्ष के मार्गदर्शन की जरूरत नहीं है और आयोग में नियुक्तियों को लेकर जल्द प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी.
ऐसे में संकेत हैं कि शनिवार को इस बारे में सरकार किसी फैसले पर पहुंच सकती है. आयोग के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थानों में एमबीबीएस डॉक्टर्स के 200 पद भरे जाने हैं. इसके अलावा अन्य भर्तियां भी शेड्यूल्ड हैं. इसे देखते हुए आयोग में चेयरमैन की कुर्सी को लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल में रचना गुप्ता को आयोग के अध्यक्ष पद पर बिठाने के लिए अधिसूचना जारी कर दी गयी थी. तुरत-फुरत में गुरुवार सुबह आठ बजे के बाद शपथ ग्रहण समारोह रख दिया गया. तभी बुधवार रात को अचानक से दिल्ली से लेकर हिमाचल में हलचल मच गई. देर रात डेढ़ बजे दिल्ली से संकेत आये की समारोह को स्थगित किया जाए. उसके बाद सुबह यानी गुरुवार सुबह से ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. खुद आयोग की सदस्य रचना गुप्ता की तरफ से राजभवन को मेल के जरिये सूचित किया गया कि पारिवारिक व निजी कारणों से वे इस पद को स्वीकार करने में असमर्थ हैं.
वहीं, हिमाचल के राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर (Himachal Governor Rajendra Arlekar) जन्माष्टमी पर्व में भाग लेने के लिए नूरपुर पहुंच गए थे. राजभवन के अफसरों ने उन्हें मेल के बारे में सूचित किया. फिर उनकी सहमति ली गयी और राजभवन ने नियुक्ति से जुड़ी फाइल वापस राज्य सरकार को भेज दी. अब राज्य सरकार को चेयरमैन के पद के लिए नए सिरे से तलाश करनी है. देखना ये है कि कोई नियुक्ति प्रक्रिया अपनाई जाती है या फिर सीधे किसी नाम की नोटिफिकेशन जारी होती है. इसके अलावा तीन अन्य सदस्यों को लेकर क्या नए सिरे से ऑर्डर होंगे या पहले से जारी नोटिफिकेशन ही मान्य होगी, इस बारे में भी जयराम सरकार को फैसला लेना है.
राज्य सरकार ने लोक सेवा आयोग में डॉ. रचना गुप्ता का नाम अध्यक्ष और कर्नल राजेश कुमार शर्मा, राकेश शर्मा और डॉक्टर ओम प्रकाश शर्मा को नए सदस्य के रूप में शपथ दिलाने के लिए राजभवन को नियम के अनुरूप फाइल भेजी थी. राजभवन ने गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे यह शपथ ग्रहण समारोह रखा था, लेकिन पिछली रात को ही ऐसा घटनाक्रम हुआ की राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को आए एक फोन से सारा मामला बदल गया.
सूत्रों के अनुसार दिल्ली से एक कॉल आयी थी. सूत्र बताते हैं कि उसके बाद राज्यपाल ने अपने कार्यालय को यह शपथ ग्रहण समारोह टालने के लिए कहा. बताया जा रहा है कि राजभवन की ओर से तय किया गया शपथ ग्रहण समारोह पहली बार टाला गया है. इस से पहले ऐसा कभी सुनने में नहीं आया. ये भी रहस्य है कि दिल्ली से आया फोन कॉल किसका था. खैर, फोन आने के बाद नोटिफिकेशन को रद्द करने के दो ही विकल्प थे. या तो नामित अध्यक्ष पद लेने से इनकार कर दे या फिर राज्य सरकार नोटिफिकेशन को वापस ले. चूंकि इस नोटिफिकेशन को जारी करने से पहले राजभवन की सहमति ली गई थी और अगर सरकार इसे रद्द करती तो राजभवन की गरिमा को ठेस लगनी थी. इसलिए आनन फानन में दूसरे विकल्प पर काम किया गया. इसके बाद ही रचना गुप्ता ने खुद ई-मेल के जरिए इस पद को लेने से इनकार किया.
बताया जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से संगठन के लोग भी सहज महसूस नहीं कर रहे थे. उधर, अगले दिन कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया. पार्टी प्रवक्ता नरेश चौहान ने प्रेस वार्ता बुलाई तो वरिष्ठ नेता सुखविंद्र सिंह सुक्खू (sukhvinder singh sukhu on hppsc oath ceremony) ने वीडियो बयान जारी कर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. अलबत्ता नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) की तरफ से पहले कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आयी, लेकिन बाद में उन्होंने भी सवाल किया. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जब लोग सोकर नहीं उठते तो शपथ रख दी गयी. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली से पीएम आफिस से कोई निर्देश आया तो प्रदेश की जनता को बताया जाए. मुकेश अग्निहोत्री ने डॉ. रचना गुप्ता का नाम नहीं लिया. फिलहाल अब बड़ा सवाल ये है कि आयोग में सरकार किसे मुखिया बनाएगी.
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