शिमला:आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctors Day) दिवस है. हिमाचल प्रदेश बेशक छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां डॉक्टर्स और सेहत के मोर्चे पर शानदार काम हुआ है. हिमाचल प्रदेश के कई डॉक्टर्स देश और विदेश में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रहे हैं. देश के सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान एम्स दिल्ली की कमान हिमाचल के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के हाथ है. इसी तरह नीति आयोग में हिमाचल के विश्वविख्यात बाल रोग विशेषज्ञ विनोद कुमार पॉल कई अहम जिम्मेदारियां निभा रहे हैंं. वे नीति आयोग में सदस्य हैं और साथ ही कोविड से लड़ाई की रणनीति तैयार करने वाली टीम के वे मुखिया रहे.
हिमाचल की सेहत-सत्तर लाख की आबादी वाले छोटे राज्य हिमाचल में सेहत की बात करें तो यहां बिलासपुर में एम्स अस्पताल में ओपीडी व अन्य सुविधाएं शुरू हो चुकी हैं. हिमाचल प्रदेश में शिमला में प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है. यहां आईजीएमसी अस्पताल के अलावा रीजनल कैंसर सेंटर, डीडीयू रीजनल अस्पताल, डेंटल कॉलेज अस्पताल, राज्य स्तरीय कमला नेहरू महिला व शिशु कल्याण अस्पताल मौजूद हैं. इसके अलावा कांगड़ा के टांडा में मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हमीरपुर, नाहन, मंडी, चंबा में मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. हिमाचल प्रदेश में नौ रीजनल अस्पताल हैं, इसके अलावा 83 सिविल अस्पताल हैं. हिमाचल में प्राइमरी हैल्थ सेंटर्स की संख्या 571 जबकि 2109 हैल्थ सब-सेंटर्स हैं. प्रति व्यक्ति औसत के हिसाब से हिमाचल में सबसे अधिक हैल्थ सब सेंटर्स हैं. हिमाचल में दो ईएसआई व एक टीबी सेनेटोरियम है, मेंटल अस्पताल की सुविधा भी राज्य में है.
हिमाचल प्रदेश में 2500 से अधिक मेडिकल ऑफिसर्स:हिमाचल प्रदेश देश में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति सबसे अधिक पैसे खर्च करने वाला राज्य है. प्रदेश में इस समय स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति 32 हजार रुपए खर्च किया जाता है. हिमाचल देश का पहला राज्य है, जहां मेडिकल ऑफिसर्स यानी एमबीबीएस डॉक्टर्स और सीएमओ के सभी पद (doctors in himachal pradesh) भरे हुए हैं. हिमाचल प्रदेश में 2500 से अधिक मेडिकल ऑफिसर्स हैं. अलबत्ता फील्ड में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की जरूर कमी है. हिमाचल में फील्ड में 310 विशेषज्ञ डॉक्टर्स हैं. प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कम से कम दो सौ पद और होने चाहिए. सभी रीजनल अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स जरूरत से कम हैं.