शिमला: देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं और इस वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. आजादी के सात दशक बाद (Indian Independence Day) भारत हर मोर्चे पर दुनिया के अग्रणी देशों को टक्कर दे रहा है. इसमें महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई है. आज महिलाओं ने कई क्षेत्रों में अपने हुनर का झंडा बुलंद किया है. आजादी के 75 साल का जश्न ऐसी महिला एचीवर्स के बिना अधूरा है. ये वो नारी शक्ती (Nari Shakti) है जिसने अपने जज्बे और हौसले की बदौलत देश का नाम रोशन किया. आज बात हिमाचल की उस बेटी की करेंगे जिसने 7161 ऊंची पुमोरी चोटी फतह करने का गौरव (azadi ka amrit mahotsav) हासिल किया है.
पर्वतारोही बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur) जिला सोलन के कुनिहार के पास छोटे से गांव ममलीग से संबंध रखती हैं. बलजीत कौर के पिता का नाम अमरीक सिंह और मां का नाम शांति देवी है. उनके पिता हिमाचल प्रदेश ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में बस ड्राइवर हैं. बलजीत कौर के तीन भाई बहन भी हैं और वे बचपन से ही मां के साथ किसानी में मदद करती थीं.
बलजीत कौर की शिक्षा:पर्वतारोही बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur from Himachal) की शिक्षा भी सोलन से ही हुई है. उन्होंने सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की है. उन्होंने सोलन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की. बलजीत स्कूल के समय से ही नेशनल कैडट कॉर्प्स यानी एनसीसी में शामिल हो गई (Baljeet Kaur Age Family And Lifestyle) थी. वे सोलन कॉलेज में भी एनसीसी में थी, उसी दौरान वह एवरेस्ट के एक अभियान का हिस्सा बनी थीं. लेकिन उस दौरान ऑक्सीजन मास्क की खराबी के चलते बलजीत कौर को अभियान बीच में छोड़कर लौटना पड़ा था.
21 मई को किया सपना पूरा:21 मई 2022 को बलजीत कौर ने आखिर लंबे संघर्ष के बाद दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट को फतह किया था. बलजीत कौर शनिवार सुबह 4:30 बजे एवरेस्ट पर पहुंची थी. बलजीत कौर 17 मई को रात्रि 10 बजे अपने दल के साथ माउंट एवरेस्ट के लिए रवाना हुई (baljeet kaur climbed mount everest) थी. पांच दिन तक सफर करने के बाद बलजीत को सफलता मिली. यह बलजीत का दूसरा प्रयास था.
एवरेस्ट पर चढ़ने का पहले भी कर चुकी हैं प्रयास: कुछ साल पहले जब वह सोलन कॉलेज में एनसीसी में थी, तो एवरेस्ट के एक अभियान का हिस्सा बनी थीं. लेकिन उस दौरान ऑक्सीजन मास्क की खराबी के चलते बलजीत कौर को अभियान बीच में छोड़कर लौटना पड़ा (baljeet kaur biography) था. बलजीत की शिक्षा सोलन कॉलेज से हुई है और इस दौरान बेहतरीन एनसीसी कैडेट के रूप में बलजीत ने अपनी पहचान बनाई थी.