हिसार/शिमला: देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं और इस वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. आजादी के सात दशक बाद (Indian Independence Day) भारत हर मोर्चे पर दुनिया के अग्रणी देशों को टक्कर दे रहा है. इसमें महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई है. आज महिलाओं ने कई क्षेत्रों में अपने हुनर का झंडा बुलंद किया है. आजादी के 75 साल का जश्न ऐसी महिला एचीवर्स के बिना अधूरा है. ये वो नारी शक्ती (Nari Shakti) है जिसने अपने जज्बे और हौसले की बदौलत देश का नाम रोशन किया. आज बात हरियाणा की उस बेटी की करेंगे जिसने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को एक-दो बार नहीं बल्कि तीन बार फतेह किया.
मिलिए पर्वतारोही अनीता कुंडू से- हरियाणा के हिसार जिले में पैदा हुई अनीता कुंडू (Mountaineer Anita Kundu) का एडवेंचर गेम्स के प्रति शुरू से ही लगाव रहा. लेकिन समाज के रोड़े कई रोड़े उनकी राह में (Anita Kundu From Haryana) थे. फिर भी आज वो देश और दुनिया की जानी-मानी पर्वतारोही बन पाई हैं तो वो इसका श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. अनीता के मुताबिक उसके परिवारवाले अशिक्षित थे लेकिन उनकी सोच बड़ी थी. बेटा-बेटी में फर्क ना करके उन्होंने मुझे प्रेरित किया. जब अनीता 12 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया, चार भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण जिम्मेदारी का बोझ आ गया. जिसके बाद उनके सपनों की उड़ान पर असर तो जरूर पड़ा लेकिन वक्त के साथ उन्होंने हालात को बौना साबित कर दिया.
पढ़ाई और कबड्डी का शौक- अनीता की पढ़ाई हिसार से हुई और उन्होंने बीए की पढ़ाई जाट कॉलेज से की. इसके बाद प्राइवेट इंस्टीट्यूट से उन्होंने एमए हिस्ट्री से की. अनीता कुंडू हरियाणा के हिसार जिले के फरीदपुर गांव (Haryana Mountaineer Anita Kundu) की रहने वाली अनीता को बचपन में कबड्डी का शौक था, जिसके चलते उसने 5वीं कक्षा से ही कबड्डी खेलना शुरू कर दिया, लेकिन अनीता अपने इस शौक को अधिक दिन नहीं रख पाई. पिता की मौत के बाद सारे शौक धरे रह गए और परिवार को पालने की जिम्मेदारी ने नौकरी की राह पर छोड़ दिया.
2008 में हरियाणा पुलिस में भर्ती हुईं- अनीता कुंडू अपने दम पर साल 2008 में हरियाणा पुलिस में भर्ती हुई. ये उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद उन्होंने पर्वतारोहण को लेकर कई बेसिक कोर्स किए और खुद को एक सफल पर्वतारोही के रूप में साबित किया. शुरूआत में देश की कई चोटियों को जीतने के बाद उन्होंने दुनिया की ऊंची-ऊंची चोटियों को बौना साबित कर दिया.
बेफिक्र और दृढ़ निश्चय के साथ अनीता कुंडू ने अपने डीजीपी से मदद मांगी. जिन्होंने उन्हें पर्वतारोहण और रॉक-क्लाइम्बिंग सीखने की अनुमति दी. जिसके लिए 2009 में उन्हें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ एक ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. जहां उन्होंने हर ट्रेनिंग में खुद को साबित किया. वजन उठाने से लेकर ऊंचाई पर दौड़ना, जंगल में जीवित रहने के कौशल से लेकर भोजन या पानी के बिना जीवित रहना जैसे गुर सीखे.
अनीता कुंडू ने इन चोटियों पर लहराया तिरंगा- अनीता कुंडू ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को तीन बार फतेह किया है. एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है. इसके अलावा अनीता कुंडू ने ऑस्ट्रेलिया का कार्सटेंस पिरामिड शिखर, उत्तराखंड में रुदुगैरा के 5800 मीटर ऊंचे शिखर को फतेह कर चुकी हैं. उतरी अमेरिका की देनाली पर भी अनीता ने संघर्ष किया. माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी हरियाणा की बेटी ने फतेह किया है. इन सभी उपलब्धियों के लिए अनीता को तेनजिंग नोर्गे नेशनल अवॉर्ड (Tenzing Norgay National Award) से सम्मानित किया जा चुका है.
साल 2009 और 2011 के बीच अनीता ने माउंट सतोपंथ और माउंट कोकस्टेट सहित चुनौतीपूर्ण शिखरों पर चढ़ाई की. अनिता को पर्वतारोही होने के साथ शाकाहारी होने की सभी बाधाओं का सामना करना पड़ा. ठंड के मौसम में दो महीने तक नहाना तक मुमकिन नहीं होता. चढ़ाई के दौरान सूखे मेवे, सूप और डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों पर जीवित रहना पड़ा. नेपाल की ओर से सफलतापूर्वक चोटी पर चढ़ने के बाद, अनीता ने पहली बार 2015 में चीन की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया.
दुर्भाग्य से तब भूकंप आ गया. जिसकी वजह से अनीता को लगभग 22,000 फीट की ऊंचाई के बाद वापस लौटना पड़ा. हालांकि उनकी टीम कुछ सदस्य भूकंप से नहीं बच सके. 21 मई 2017 को अनिता ने फिर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की. जहां वो राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सफल रही.