शिमला: वर्ष 2020 में कोरोना संकट के बीच आईजीएमसी का कार्यकाल चुनौतियों भरा रहा. आईजीएमसी में वर्ष 2020 की गतिविधियों की जानकारी पत्रकारों से साझा करते हुए एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि कोरोना संकट के बीच 16 अप्रैल 2020 को अस्पताल में मरीजों के लिए ओपीडी शुरू की गई.
इसके बावजूद साल 2019 के मुकाबले 2020 में ओपीडी घटी है. वर्ष 2019 में 7 लाख 86 हजार 69 ओपीडी हुई थी. वहीं, साल 2020 में 4 लाख 19 हजार 92 रही. यही नहीं वर्ष 2019 में जहां भर्ती किए मरीजों में 43127 का इलाज किया गया, वहीं यह घटकर 2020 में 30514 रह गया.
वर्ष 2020 में अस्पताल में कोरोना से 264 लोगों की मौत
इसके अतिरिक्त दोनों साल 2019-2020 में अस्पताल में हुई मौतों में अधिक अतंर नहीं रहा. 2019 में 1635 नॉन कोविड मरीजों की मौतें हुई, जबकि 2020 में 1310 मौतें हुई हैं. इनमें कोरोना से 264 लोगों की मौत हुई है. इस मौके पर आईजीएमसी के अन्य प्रशासिनक अधिकारी डॉ. शोमिनव, डॉ. राहुल गुप्ता भी मौजूद रहे.
सरकारी योजनाओं के तहत मरीजों पर खर्च हुए 28 करोड़ 61 लाख
डॉ. जनक राज ने बताया कि प्रदेश सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के तहत वर्ष 2020 में मरीजों पर 28 करोड़, 61 लाख रुपये की राशि खर्च की गई है. आयुष्मान भारत के तहत 5725 मरीजों का इलाज किया, जिसमें 10 करोड़, 6 लाख, 80 हजार रुपये खर्च किए गए हैं. इसके अतिरिक्त हिमकेयर योजना के तहत 9021मरीजों का इलाज किया गया, जिसमें 17 करोड़, 50 लाख, 95 हजार खर्च किए गए.
जननी सुरक्षा योजना के तहत 667 मरीजों का इलाज किया गया. जिसमें 50 लाख के करीब खर्चा हुआ. मुख्यमंत्री सहायक चिकित्सका कोष के तहत 16 लोगों का इलाज किया गया, जिस पर करीब 37 लाख रुपये का खर्चा आया. मुख्यमंत्री राहत कोष के तहत 7 लोगों का इलाज किया गया. बाल स्वास्थ्य के तहत 14 बच्चों को इलाज किया गया.
ये रहे मुख्य बिंदु