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राजधानी में बंदरों ने बच्ची और बुजुर्ग पर किया जानलेवा हमला, IGMC में चल रहा उपचार

शिमला में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है. आए दिन लोग बंदरों के हमले से घायल होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. बीते कुछ माह पहले एक दिन में बंदरों ने करीब 30 लोग को जख्मी किया था. जनता का आरोप है कि प्रशासन बंदरों से निजात दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है.

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Published : May 16, 2019, 10:21 PM IST

आईजीएमसी में भर्ती घायल.

शिमला: राजधानी में बंदरो का आंतक बढ़ता ही जा जा रहा है. आए दिन बुजुर्ग और बच्चों पर बंदरों द्वारा हमला किया जा रहा है. राजधानी में एक ही दिन छोटा शिमला में 13 साल की बच्ची और समरहिल में 64 वर्षीय बुजुर्ग महिला पर बंदरों ने हमला किया है. दोनों को उपचार के लिए आईजीएमसी में भर्ती करवाया गया है.

वीडियो.

जानकारी के मुताबिक 13 साल की बच्ची वंशिका जब दूध लाने के लिए जा रही थी तभी गर्वनर हाऊस के पास बंदरो ने उस पर हमला कर दिया. जिसके चलते उसके पांव और छाती में चोटें आई हैं. वहीं, 64 वर्षीय महिला कांता भी जब समरहिल में सामान लेने बाजार की ओर गई थी तो अचानक बंदरों ने उन पर हमला कर दिया. ऐसे में महिला के घुटने, पीठ और हाथ में चोटें आई हैं. दोनों का आईजीएमसी में उपचार जारी है.

एक ही दिन में बंदरों ने किया था 30 लोगों को घायल
आपको बता दें कि बीते कुछ माह पहले तो एक ही दिन में बंदरों ने शहर के विभिन्न जगहों पर 30 लोगों पर हमला किया था. बंदर के काटने के मामले जाखू, ढली, पुराना बस स्टैंड, लक्कड़ बाजार, कुसुम्पटी, टुटू और घणाहट्टी से आ रहे हैं. बंदरों के आतंक से शहर में लोग बहुत परेशान हैं. आए दिन शहर के कई जगहों पर बंदर लोगों को अपना निशाना बना रहे है, लेकिन अभी भी प्रशासन की नींद खुलने का नाम नहीं ले रही है. यही नहीं, आईजीएमसी मार्ग कालीबाड़ी, जाखू, संजौली, नवबहार इलाके में तो बंदरों का इतना कहर है की लोग हाथ में डंडा या फिर पत्थर लेकर चल रहे हैं.

बंदर के हमले से हो चुकी है मौत
राजधानी में बंदरों का आतंक सिर्फ लोगों को काटने तक ही सीमित नहीं है, बंदर के काटने से लोगों की मौत भी हो चुकी है. बावजूद इसके अभी तक प्रशासन ने आतंकी बंदरों से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया है. अगर शिमला के अस्पतालों की बात की जाए तो रोजाना 3 से 4 मामले तो अस्पताल में बंदर के काटने के आ रहे हैं.

प्रशासन को बनानी चाहिए योजना
लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा कोई योजना बनाई जानी चाहिए ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े और लोग सुरक्षित होकर रास्ते से गुजर सकें. इन दिनों बंदरों के डर से लोगों द्वारा बच्चों को अकेले स्कूल नहीं भेज रहे हैं. बच्चों को स्कूल छोड़ने उनके अभिभावक साथ जा रहे हैं.

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