शिमला:इससे पहले की हाईकोर्ट में राज्य सरकार की किरकिरी होती और अदालत कोई सख्त फैसला पारित करती, हिमाचल सरकार ने माननीयों के वेतन पर टैक्स न भरने का खुद ही ऐलान कर दिया. गुरूवार को शिमला में देर रात खत्म हुई कैबिनेट मीटिंग में जयराम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. हिमाचल प्रदेश में अब विधायकों, मंत्रियों आदि के वेतन पर सरकार टैक्स नहीं भरेगी. माननीयों को अब खुद टैक्स भरना होगा.
उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. मार्च महीने की 28 तारीख को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था. इससे पहले की मामले की अगली सुनवाई होती, राज्य सरकार ने कैबिनेट में फैसला ले लिया कि अब वेतन पर टैक्स खुद माननीयों को भरना होगा. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रफीक मोहम्मद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है.
यशपाल राणा की तरफ से दाखिल की गई याचिका में कहा (Himachal cabinet meeting) गया है कि विधायकों, मंत्रियों आदि के वेतन पर सरकार की तरफ से टैक्स भरना असंवैधानिक है. याचिका में दिए गए तथ्यों में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश में 2018-19 में माननीयों के वेतन पर सरकार ने 1.79 करोड़ रुपए टैक्स भरा था. वर्ष 2019-20 में ये राशि 1.78 करोड़ रुपए से अधिक थी. इस तरह पांच साल में सरकार नौ करोड़ रुपए से अधिक की रकम माननीयों के वेतन पर टैक्स के रूप में अदा करती है. यूपी, पंजाब, हरियाणा व मध्य प्रदेश में सरकार ही विधायकों, मंत्रियों के वेतन पर टैक्स भरती है.
संभावना थी कि 42 दिन के भीतर हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करता. उस सुनवाई में सरकार को नोटिस का जवाब देना था. साथ ही याचिकाकर्ता ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, माकपा विधायक राकेश सिंघा, भाजपा नेता महेंद्र सिंह ठाकुर व निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को पार्टी बनाया था. मामले की अगली सुनवाई से पहले ही सरकार ने कैबिनेट में उक्त फैसला ले लिया.