शिमला: कोरोना संकटकाल के दौरान कृषि क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की तथा कृषकों ने रोजगार सृजन में नाबार्ड ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. यह बात ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बुधवार को नाबार्ड द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम के दौरान (Annual program organized by NABARD) कही. उन्होंने कहा कि कृषक उत्पाद संगठनों ने अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार जन हितैषी नीतियां बना रही है.
उन्होंने कृषि, बागवानी व सहकारिता क्षेत्र को बेहतर समन्वय स्थापित करने पर बल दिया, जिससे पर्वतीय राज्य में चहुंमुखी विकास संभव हो सके. कृषि मंत्री ने प्रदेश के हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योग की अपार संभावना पर प्रकाश डाला और नाबार्ड के अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे इस क्षेत्र से पर्वतीय राज्य की विशेष पहचान बनाने पर कार्य करें. उन्होंने बताया कि बैंक द्वारा दिए गए ऋण से ग्रामीण महिलाओं द्वारा स्थापित स्वयं सहायता समूहों से उनकी आर्थिक उन्नति संभव हुई है तथा उनके द्वारा निर्मित उत्पादों ने अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी पहचान बनाई है.
कृषि मंत्री ने ग्रामीण युवाओं से आह्वान किया कि वे वर्तमान प्रदेश सरकार की सर्वस्पर्शी नीतियों व योजनाओं का लाभ उठाएं तथा स्वरोजगार के प्रति सकारात्मक सोच रखें और आत्मनिर्भरता की राह अपनाएं. इससे पर्वतीय राज्य में ग्रामीण आर्थिकी को संबल मिलेगा तथा कृषि व बागवानी क्षेत्र से प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे. वीरेंद्र कंवर (Minister Virender kanwar) ने कहा कि राज्य में पूर्व सरकार के कार्यकाल में नाबार्ड के माध्यम से 3200.34 करोड़ रुपये की कुल 779 विधायक प्राथमिकता योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई थी, जबकि वर्तमान प्रदेश सरकार के पहले चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान 3,347.20 करोड़ रुपये लागत की 825 विधायक प्राथमिकता योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है.