शिमलाः ऑल इंडिया मिड-डे मील वर्कर्स फेडरेशन सम्बन्धित सीटू के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों व ब्लॉक मुख्यालयों में मिड-डे मील वर्कर्स की ओर से अपनी मांगों को लेकर धरने प्रदर्शन किए गए. इसी क्रम में शिमला के प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय पर वर्कर्स ने जोरदार प्रदर्शन किया.
हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन की महासचिव हिमी देवी ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार मध्याह्न भोजन कर्मियों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है और उनका शोषण किया जा रहा है. उन्हें केवल दो हजार तीन सौ रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है और न ही कोई भी छुट्टी दी जाती है.
यूनियन महासचिव ने कहा कि मिड-डे मील वर्करज के लिए ईपीएफ व मेडिकल सुविधा भी नहीं है. उनसे खाना बनाने के अलावा डाक, चपरासी, सफाई, झाड़ू, राशन ढुलाई, बैंक, जलवाहक आदि सभी प्रकार के कार्य करवा लिए जाते हैं. ये सभी प्रकार के कार्य मल्टी टास्क हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें मल्टी टास्क वर्कर्स की भर्तियों में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है.
उन्हें साल 2013 के 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है. हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार उन्हें बारह महीने का वेतन नहीं दिया जा रहा है. उन्हें केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है. पच्चीस बच्चों से कम संख्या होने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ सालों में छह हजार सात सौ चालीस वर्कर्स की छंटनी हो चुकी है और उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.