शिमला: देश के कई राज्य डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन हिमाचल में स्थिति उलट है. यहां एमबीबीएस पास डॉक्टर्सके सर पर बेरोजगार होने का संकट मंडरा रहा है. कारण ये है कि राज्य में एमबीबीएस डॉक्टर्स (700 doctors pass out every year in Himachal) के स्वीकृत सभी पद भर चुके हैं. वहीं, सेवानिवृत्ति की दहलीज पर पहुंचे डॉक्टर्स के अलावा पीजी डिग्री के लिए सिलेक्ट होने वाले डॉक्टर्स की संख्या के मुकाबले मेडिकल कॉलेजों से पास आउट हो रहे नए चिकित्सकों की संख्या अधिक है.
हिमाचल में मेडिकल कॉलेज: हिमाचल प्रदेश में इस समय शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित कांगड़ा के टांडा स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलावा पांच अन्य मेडिकल कॉलेज (Medical Colleges in Himachal) हैं. हर मेडिकल कॉलेज में सौ-सौ सीटें हैं. कुल सात मेडिकल कॉलेज से पास आउट होने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स की संख्या 700 होती है. हाल ही में हिमाचल सरकार ने प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों के लिए डॉक्टर्स के 500 पद सृजित किए थे. इनमें से 200 पद लोकसेवा आयोग के माध्यम से और 300 पद लिखित परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का फैसला हुआ. लिखित परीक्षा से भरे जाने वाले पद पहले वॉक-इन-इंटरव्यू से भरे जाने थे. वॉक-इन-इंटरव्यू प्रक्रिया में सिर्फ डिग्री व अन्य कागजात देखे जाते हैं और नियुक्ति पत्र दे दिया जाता है.
हिमाचल में हर साल 700 चिकित्सकों को कैसे मिलेगी नौकरी: चूंकि प्रदेश में पहले डॉक्टर्स के काफी पद खाली होते थे, लिहाजा सरकार हर हफ्ते वॉक-इन-इंटरव्यू रखती थी. तब प्रदेश में दो ही मेडिकल कॉलेज थे और सीटें भी एक मेडिकल कॉलेज में 65 ही थीं. ऐसे में पास आउट होते ही डॉक्टर्स को तुरंत नियुक्ति भी मिल जाती थी. यहां तक कि देश के अन्य राज्यों के एमबीबीएस पास डॉक्टर्स भी नौकरी पा गए थे. अब स्थिति बदल गई है. पहले तो मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर्स की सीटें 65 से 100 हुई और फिर प्रदेश में कॉलेजों की संख्या भी बढ़ गई. इस समय शिमला, कांगड़ा, नाहन, चंबा, हमीरपुर, नेरचौक में सरकारी मेडिकल कॉलेजों सहित सोलन जिला में एक निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल है. यही कारण है कि अब प्रदेश में हर साल पास आउट होने वाले एमबीबीएस बेरोजगार हो जाएंगे.
लिखित परीक्षा का इसलिए भी हुआ विरोध: हाल ही में चार सितंबर को मंडी जिले में अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी (Atal Medical University in Mandi district) ने एमबीबीएस डॉक्टर्स की नौकरी के लिए लिखित परीक्षा ली थी. इस परीक्षा को डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. कारण ये था कि पहले तीन सौ पद भरने के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू होना था, लेकिन अभ्यर्थी अधिक होने के कारण लिखित परीक्षा आयोजित की गई. कुछ डॉक्टर्स हाईकोर्ट पहुंचे और पहले की तरह पद भरने का आग्रह किया था. हाईकोर्ट ने डॉक्टर्स की याचिका खारिज कर दी थी. सरकार ने अदालत में सारी वस्तुस्थिति स्पष्ट की थी.