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लाहौल स्पीति में पंचायत प्रतिनिधि के लिए शिक्षित होना जरूरी, जिला की 13 में से 9 पंचायतें निर्विरोध - लाहौल स्पीति पंचायती राज चुनाव

जिला के स्पीति खंड में 13 में से 9 पंचायतों का चयन निर्विरोध किया गया है. साथ ही कई बीडीसी सदस्य भी निर्विरोध चुन लिए गए हैं. अभी दो और पंचायतों के निर्विरोध चुने जाने की उम्मीद है. उम्मीदवारों का पढ़ा लिखा होना जरूरी यहां के लोगों के आम सहमति का निर्णय है, लेकिन किसी भी कम पढ़े लिखे व्यक्ति को बलपूर्वक चुनाव से बाहर भी नहीं किया जाता है, लेकिन गांव के लोगों ने बैठकर सामूहिक तौर पर कम से कम 10 वीं तक शिक्षित महिला और पुरुष को ही प्रधान चुनने का निर्णय किया हैं.

mandatory to be educated to be a Panchayat representative in Lahaul Spiti
mandatory to be educated to be a Panchayat representative in Lahaul Spiti

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Published : Dec 31, 2020, 10:17 AM IST

Updated : Dec 31, 2020, 1:08 PM IST

शिमलाःजनजातीय जिला लाहौल स्पीति में लोगों ने पंचायती राज संस्था के लिए निर्वाचित होने वाले उम्मीदवारों का पढ़ा लिखा होना आवश्यक कर दिया है. यहां के लोगों ने आम सहमति से निर्णय लिया है, कम से कम दसवीं कक्षा पास व्यक्ति ही पंचायत प्रतिनिधि के लिए चुना जाएगा.

जिला के स्पीति खंड में 13 में से 9 पंचायतों का चयन निर्विरोध किया गया है. साथ ही कई बीडीसी सदस्य भी निर्विरोध चुन लिए गए हैं. अभी दो और पंचायतों के निर्विरोध चुने जाने की उम्मीद है.

कम से कम दसवीं कक्षा पास हो प्रतिनिधि

उम्मीदवारों का पढ़ा लिखा होना जरूरी यहां के लोगों के आम सहमति का निर्णय है, लेकिन किसी भी कम पढ़े लिखे व्यक्ति को बलपूर्वक चुनाव से बाहर भी नहीं किया जाता है, लेकिन गांव के लोगों ने बैठकर सामूहिक तौर पर कम से कम 10वीं तक शिक्षित महिला और पुरुष को ही प्रधान चुनने का निर्णय किया हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

इस प्रक्रिया में यहां के गोम्पा की अहम भूमिका होती है. इसकी वजह केंद्र व प्रदेश सरकार से मिलने वाले धन के साथ सरकारी पत्रों को पढ़ने के बाद ही किसी कागज पर हस्ताक्षर करना है. किसी गांव में अगर दसवीं तक शिक्षित योग्य उम्मीदवार ना हो तो फिर अनुभवी व्यक्ति को ही प्रधान चुना जाता है. लाहौल स्पीति जिला में 76 फीसदी से अधिक साक्षरता दर है. पुरुषों की साक्षरता दर करीब 80 फीसदी है.

आपसी सहमति पुरानी परंपरा

लाहौल स्पीति से विधायक और प्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि आपसी सहमति से पंचायतों के प्रतिनिधियों का चुनाव यहां की पुरानी पूर्व परंपरा है. इस चुनाव में गोम्पाओं और स्थानीय पढे़ं लिखे लंबरदार अहम भूमिका निभाते हैं.

इसके अलावा कुछ नियम भी तय किए हैं. जैसे यदि किसी पंचायत में 3 गांव है. तो प्रधान बीडीसी और उप प्रधान के पद रोटेशन आधार पर तीनों गांव को मिलते हैं,ताकि सभी गांव का समान विकास हो सके. मारकंडा ने कहा कि जिला में लोगों की अधिकतर कोशिश रहती हैं कि अधिकांश निर्णय आपसी सहमति से किए जा सकें, ताकि कम से कम कड़वाहट हो और लोग मिलजुल कर रह सके.

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Last Updated : Dec 31, 2020, 1:08 PM IST

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