शिमला: देश आज महात्मा गांधी की 153वीं जयंती (Mahatma Gandhi Jayanti) मना रहा है. एक शब्दकर्मी ने कहा था- शिमला की धरती में बापू के पदचिन्ह हमेशा कायम रहेंगे और यहां की धरती में उनकी पदचाप धड़कती रहेगी. आजादी से पहले शिमला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली रही. वे कई बार शिमला आए. शिमला में बापू की अनेक स्मृतियां मौजूद हैं, लेकिन आजादी के बाद बापू को शिमला आने का अवसर नहीं मिला. बापू की जयंती पर शिमला स्थित उनकी प्रतिमा पर हर साल भजन गाए जाते हैं.
आजादी के बाद एक भी यात्रा नहीं: बापू शिमला आते थे तो यहां के लोग उनकी एक झलक के लिए उमड़ पड़ते थे. आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शिमला की दस यात्राएं कीं. उनकी अधिकांश यात्राएं ब्रिटिश सत्ता के साथ चर्चा से संबंधित थी. ये जानना दिलचस्प है कि स्वतंत्र भारत में महात्मा गांधी ने शिमला की कोई यात्रा नहीं की. ये बात अलग है कि गांधीजी के वध का ट्रायल शिमला में ही हुआ. मौजूदा समय में जहां हिमाचल सरकार का राज्य अतिथिगृह पीटरहॉफ है, वहां पर गांधीजी के वध का मुकदमा चला था. पीटरहॉफ तब पंजाब हाईकोर्ट कहलाता था. (mahatma gandhi shimla visits)
शिमला ब्रिटिश सत्ता की ग्रीष्मकालीन राजधानी: आजादी से पहले शिमला ब्रिटिश सत्ता की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. विभिन्न अवसरों पर बापू यहां आए थे. शिमला प्रवास के समय महात्मा गांधी यहां मेनरविले में ठहरते थे. मेनरविले राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है. वर्ष 1935 से महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. उसके बाद से तो शिमला में मेनरविले महात्मा गांधी के ठहरने का नियमित ठिकाना (Mahatma Gandhi Visit Shimla) रहा. वर्ष 1935 के बाद महात्मा गांधी ने शिमला में वर्ष 1939 में दो, 1940 में चार और 1945 में एक यात्रा की.
बापू की बकरी से जुड़ा किस्सा: गांधी की शिमला यात्रा से जुड़ा एक रोचक तथ्य है. ब्रिटिश वायसराय लार्ड वेवल के समय उनके एडीसी पीटर कोट्स ने गांधी जी की एक यात्रा के विवरण में लिखा है कि उन्हें गांधी जी की बकरी के लिए एक गैराज का इंतजाम करना पड़ा. जून 1945 में शिमला कान्फ्रेंस की शुरुआत की बात है. कोट्स ने लिखा- मुझे यहां कई काम करने हैं. इन अनगिनत कामों की सूची में मुझे गांधी जी के लिए निवास की व्यवस्था करनी है. एक निवास अलग से नेहरू के लिए चाहिए, क्योंकि वे किसी के साथ नहीं रहेंगे और एक गैराज का इंतजाम गांधी जी की बकरी के लिए भी. ये सब हो चुकने के बाद ही उम्मीद की जा सकती है कि गांधी जी आएंगे. इतना होने के बाद भी गांधी जी आए तो कोट्स ने लिखा कि वे उस घर में नहीं ठहरे जिसमें व्यवस्था की गई थी, बल्कि वे राजकुमारी अमृत कौर के निवास में रहे. ये शिमला में गांधी का सबसे लंबा प्रवास था. इस प्रवास में वे शिमला में 26 जून से 17 जुलाई तक रहे.