शिमला: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (lok sabha speaker om birla) ने शिमला में आयोजित 82वां पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (82th Presiding officers conference in shimla) के निष्कर्षों पर चर्चा करते हुए कहा कि विधान मंडलों में अनुशासन व शालीनता में आती कमी हमारे लिए चिंता का विषय है. पूर्व में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (Presiding officers conference) में लिए गए निर्णयों के अनुसरण के लिए सभी दलों से चर्चा कर नए सिरे से प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सभी पीठासीन अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की कि राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अभिभाषण (President and Governor's Address) में एवं प्रश्नकाल (Question hours) के दौरान सदन की कार्यवाही में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिये.
उन्होंने कहा कि विधान मंडलों में गुणवत्तापूर्ण और स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित किया जाएगा. इन चर्चा के माध्यम से माननीय सदस्य अपने क्षेत्रों में किए जा रहे नवाचारों को सदन के माध्यम से सबके सामने ला सकें. यह नवाचार अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए भी प्रेरणा बनें. इसके अलावा बदले परिवेश में हमें समितियों की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार की आवश्यकता है ताकि उन्हें और प्रभावी बनाया जा सके. विधायिकाओं में चर्चा-संवाद और नवाचार के माध्यम से जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरी करने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो इस उद्देश्य से सर्वश्रेष्ठ विधायिका सम्मान प्रारंभ किए जाएंगे.
शिमला में आयोजित पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (Presiding officers conference) के इस वर्ष के दो विषय थे. पहला शताब्दी यात्रा जिसमें मूल्यांकन और भविष्य के लिए कार्य योजनाएं शामिल हैं और दूसरा संविधान, सभा और जनता के प्रति पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी. उन्होंने कहा कि सम्मेलन में लोकतांत्रिक संस्थाओं के सशक्तिकरण, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से लोकतांत्रिक संस्थाओं (democratic institutions) को एक प्लेटफार्म पर लाने, माननीय सदस्यों की कैपेसिटी बिल्डिंग (Capacity Building of Honorable Members), सदनों में अनुशासन और शालीनता में अभिवृद्धि, सदन में चर्चा के स्तर में सुधार, लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनभागीदारी बढ़ाने सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर भी विचार-विमर्श किया गया.