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लोहड़ी पर्व पर राजधानी शिमला के बाजारों में उमड़ी भीड़, महंगाई के बाद भी कर रहे जमकर खरीदारी

हिमाचल की राजधानी शिमला में लोहड़ी का पर्व धूमधाम (Lohri Festival 2022) से मनाया जा रहा है. ऐसे में बाजारों में खरीदारों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, दुकानदारों का कहना है कि बढ़ते कोरोना के मामलों की वजह से पाबंदियां लगाई गई है. ऐसे में उनकी कमाई प्रभावित हो रही है.

Lohri Festival celebrate in himachal
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Published : Jan 13, 2022, 3:05 PM IST

Updated : Jan 13, 2022, 3:40 PM IST

शिमला:देश भर में लोहड़ी का पर्व धूमधाम (Lohri Festival celebrate in himachal) से मनाया जा रहा है. राजधानी शिमला में गुरुवार को लोहड़ी पर्व पर (Lohri Festival 2022) बाजारों में खरीदारों की भीड़ लगी हुई है. बाजारों में जगह-जगह पर लोग गुड़, तिल, गजक और रेवड़ी के स्टालों पर लोगों ने दिनभर खरीदारी की. वहीं, महिलाएं सूखे मेवे और घी से बनी पंजीरी की खरीदारी करती हुईं नजर आईं. ठंड के दिनों में गर्म तासीर देने वाले ये सूखे मेवे लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं.

बाजार में तिल और गुड़ के लड्डू 200 रुपये से लेकर एक हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं. वहीं, किशमिश, तिल, मूंगफली और चने वाली गजक 100 से लेकर 500 रुपये प्रति किलो बिक रही है. हालांकि, बाजार में इन चीजों में पिछले साल के मुकाबले दाम बढ़े हुए हैं, लेकिन त्योहार के चलते लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं. बाजार में दुकानदारों का कहना है कि जिला प्रशासन की ओर से सुबह 10 से शाम 7 बजे तक दुकानों के खोलने का निर्देश दिया गया है. जिससे दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनका कहना था कि लोग 5 बजे के बाद ही घर जाना शुरू हो जाते हैं, ऐसे में उनके आधे सामान ही बिक पा रहे हैं.

क्यों मनाई जाती है लोहड़ी?पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में ये त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में ये पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी. इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में इस पर्व को मनाया जाता है.

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वहीं एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे, तब बालक कृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था. लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया. उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है.

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Last Updated : Jan 13, 2022, 3:40 PM IST

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