किन्नौर:जिला किन्नौर में पिछले कई वर्षों से नौतोड़ भूमि की प्रक्रिया के आलावा सबसे महत्वपूर्ण एफआरए यानी फॉरेस्ट राइट एक्ट (Forest Rights Act in Kinnaur) के तहत जनजातीय समुदाय के लोगों को मिलने वाली भूमि के कागज जिले के सरकारी कार्यालयों में धूल फांक रही थी, जिसे अब प्रशासन दोबारा से खोलने का काम कर रही है. हाल ही में जिले के अंदर 5 लोगों को एफआरए के तहत डीसी किन्नौर ने भूमि प्रदान करने का काम किया है जो आजादी के बाद पहला मामला है.
डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने रिकांगपिओ में जानकारी देते हुए बताया कि (DC kinnaur on forest rights act) जिला किन्नौर एक जनजातीय क्षेत्र है जहां पर केंद्र सरकार के जनजातियों के लिए एफआरए के तहत कानून बनाये गए हैं, जिसमें जनजातीय लोगों को उनकी खेती के लिए भूमि प्रदान कि जाती है. उन्होंने कहा कि जिले में वर्ष 2006 को एफआरए का कानून व नियम बने थे. उन्होंने कहा कि जिले में जितने भी लोगों के 2006 से पूर्व ऐसी जमीन जहां पर जिले के ऐसे लोग जो उस भूमि पर आश्रित थे, उन्हें नियम के तहत भूमि प्रदान करने के लिए प्रशासन द्वारा प्रक्रिया को तेज किया गया है, ताकि लोगों को एफआरए के तहत भूमि मिल सके.