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किन्नौर के दर्जनों स्कूलों में अध्यापकों की कमी, अंधकार में डूबा छात्रों का भविष्य - किन्नौर में अध्यापकों की कमी

किन्नौर जिले के स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण छात्रों का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा है. जिला किन्नौर में 12 ऐसे स्कूल हैं जहां (Lack of teachers in many schools of Kinnaur) प्रिंसिपल के पद खाली चल रहे हैं. वहीं, कई स्कूलों में अध्यापकों की कमी के चलते कई छात्र पढ़ाई के लिए शिमला आने के लिए मजबूर हैं.

Lack of teachers in many schools of Kinnaur
किन्नौर के स्कूलों में अध्यापकों की कमी

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Published : May 2, 2022, 8:04 PM IST

किन्नौर:जिला किन्नौर के दर्जनों स्कूलों में अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं, जिसके चलते स्कूल के छात्र छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो रही है. इस विषय को लेकर हाल ही में विधायक किन्नौर जगत सिंह नेगी ने भी सरकार से जिले के स्कूलों में प्रिंसिपलों व विभिन्न विषयों के अध्यापको के पदों को भरने की मांग रखी थी. जिला किन्नौर में (Lack of teachers in many schools of Kinnaur) 12 ऐसे स्कूल हैं जहां प्रिंसिपल के पद खाली चल रहे हैं. इन स्कूलों में रूपी, छोटा कम्बा, निगुलसरी, चगांव, उरणी, किलबा, सांगला, सापनी, मीरु, कल्पा, पंगी, लिप्पा स्कूल है.

इस विषय में डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक (DC Kinnaur Abid Hussain Sadiq) ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जिले के पूह खंड के 12 स्कूल जहां पर प्रिंसिपल के पद खाली हैं, ऐसे सभी स्कूलों की सूची तैयार कर सरकार को पत्राचार किया गया है और जल्द ही इन स्कूलों में अध्यापकों की कमी को पूरा किया जाएगा.

डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक

उन्होंने कहा कि यह बात सही है (Lack of teachers in many schools of Kinnaur) कि किन्नौर के दुर्गम क्षेत्रों में स्कूलों में अध्यापकों व अन्य स्टाफ के साथ जिले के 12 स्कूलों में प्रिंसिपलों के पद खाली हैं. उन्हें भरने के लिए काम किया जा रहा है. वहीं, जिन स्कूलों में छात्रों को अध्यापकों के बिना पढ़ाई में समस्याएं उत्पन्न हो रही है, उन स्कूलों में डेप्युटेशन (अस्थाई तौर पर )पर कुछ अध्यापकों को भेजा जा रहा है ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो.

बता दें कि जिला किन्नौर में अध्यापकों की कमी के चलते विद्यार्थियों का भविष्य अधर में है. वहीं, अभिभावकों को भी अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है. खैर अब देखना ये है कि सरकार कब इन बच्चों के भविष्य को देखते हुए जिले के स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पड़े पदों को भरती है.

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