शिमला: आर्थिक मोर्चे पर संकट में घिरी हिमाचल सरकार ने राज्य में विकास और रोजगार के लिए इन्वेस्टर्स मीट जैसा महत्वाकांक्षी अभियान छेड़ा. हजारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव तो हिमाचल के हिस्से आए, लेकिन रेल नेटवर्क का विस्तार न होने से उद्योग जगत को ट्रांसपोर्टेशन का लाभ नहीं मिलेगा. हिमाचल में सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन यानी बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ है. नालागढ़ से चंडीगढ़ (railway network in Himachal Pradesh) के लिए रेल लाइन बहुत जरूरी है. आलम यह है कि ब्रिटिश हुकूमत जहां पर रेल लाइन छोड़ गई थी, आजादी के बाद उसमें नाम मात्रा विस्तार (Status of railway in Himachal) हुआ है.
यह तब है जब भाजपा के पितृ पुरुष और भारतीय राजनीति के सबसे चमकदार सितारों में से एक पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी हिमाचल को अपना घर कहते थे. यही नहीं मनाली की प्रीणी में वाजपेयी जी की कोठी भी है. मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिमाचल को अपना दूसरा घर (PM modi dream project for himachal) कहते हैं. वे हिमाचल भाजपा के प्रभारी रहे हैं और इस पहाड़ी राज्य की विकास संबंधी जरूरतों को भली भांति पहचानते हैं. इतना होने पर भी हिमाचल को अपनी रेल जरूरतों के लिए हर बार बजट में केंद्र सरकार का मुंह ताकना पड़ता है. हिमाचल में औद्योगिक विकास की रफ्तार को और तेज करने के लिए रेल विस्तार (Railway extension in Himachal) बहुत जरूरी है.
खासकर चंडीगढ़-बद्दी रेल मार्ग का जल्द निर्माण होना लाजिमी है. ऐसा इसलिए कि हिमाचल का बड़ा औद्योगिक क्षेत्र इसी रेल मार्ग से कवर होगा. हिमाचल में सोलन जिला में बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ यानी बीबीएन सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है. इसे एशिया का फार्मा हब भी कहा जाता है. विश्व की सभी बड़ी दवा कंपनियां यहां यूनिट्स लगा कर काम कर रही हैं.
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बीबीएन में सालाना 40 हजार करोड़ रुपये का दवा उत्पादन का आंकड़ा है. यदि चंडीगढ़-बद्दी रेल मार्ग तैयार हो जाए तो फार्मा सेक्टर सहित अन्य उद्योगों को बड़ा लाभ होगा. इसके अलावा यहां कलपुर्जों के निर्माण की भी यूनिट्स हैं. यहां उद्योग की जरूरतों के लिए सौ करोड़ से अधिक की लागत वाला टेक्निकल सेंटर भी खुला है, लेकिन रेल नेटवर्क न होने से सारी ढुलाई सड़क मार्ग से ही होती है. हिमाचल लंबे अरसे से चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन का मामला उठा रहा है.
पहले चरण में इसके लिए 95 करोड़ रुपये मंजूर हुए और 2019 में 100 करोड़ रुपये मिले थे. देश की सुरक्षा और सामरिक नजरिए से देखें तो 475 किलोमीटर लंबी भानुपल्ली-बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाईन के लिए अब तक इंटरनेशनल एजेंसी ने सेटेलाईट इमेज प्रणाली के जरिए 22 सर्वे करवाए गए हैं. भानुपल्ली- बिलासपुर-मनाली-लेह के तौर पर सबसे ऊंची इस रेलवे लाईन पर 30 रेलवे स्टेशन बनाए जाने प्रस्तावित हैं. इस रेललाइन के लिए रडार की मदद से भी सर्वेक्षण किया जाएगा.
हिमाचल के सीएम व अन्य नेता समय-समय पर केंद्र से इस विषय को उठाते आए हैं. यदि पूर्व की बात करें तो चूंकि केंद्र ने ट्रैक एक्सपेंशन को फिलहाल स्थगित किया हुआ था, लिहाजा हिमाचल को कुछ नहीं मिला. इसी तरह वर्ष 2019-20 में प्रदेश की चार रेल परियोजनाओं को 154 करोड़, दस लाख रुपये का आवंटन किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने चंडीगढ़-बद्दी रेल मार्ग के लिए एक अरब रुपये धन का आवंटन किया है. अलबत्ता ऊना-हमीरपुर रेल लाइन के लिए महज दस लाख रुपये ही मिले. पिछले अंतरिम बजट में हिमाचल की चार रेल परियोजनाओं को पहले के मुकाबले कुछ अधिक धन आवंटित किया गया है. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए हिमाचल को भानूपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन के लिए 420 करोड़ रुपये मिले थे इसी तरह चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन को 200 करोड़ रुपये मिले.
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कुल मिलाकर हिमाचल को इस वित्त वर्ष में 720 करोड़ रुपये मिले. बजट आवंटन कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन भू अधिग्रहण और धरातल पर काम हिमाचल में नहीं हो रहा है. वैसे हिमाचल में 146 किमी लंबी रेल लाइन के तीन नए प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है, लेकिन हिमाचल की जरूरत जल्द से जल्द चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन है. वर्ष 2018-19 में हिमाचल की रेल परियोजनाओं के लिहाज से कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई थी. अलबत्ता नेरो गेज को ब्रॉड गेज में बदलने के लिए देश भर की परियोजनाओं के साथ ही हिमाचल की जोगेंद्रनगर-कांगड़ा रेल लाइन भी शामिल हुई थी.