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यूक्रेन ने Territorial Army में शामिल अपने नागरिकों को थमाए हथियार, जानें भारत में क्या है इसकी ABC - Territorial Army में शामिल

दुनिया इन दिनों रूस-यूक्रेन जंग की गवाह बन रही है. इस बीच कहा जा रहा है कि यूक्रेन ने रूस के साथ युद्ध को देखते हुए अपने उन नागरिकों को हथियार बांटे हैं जिन्होंने सेना का प्रशिक्षण लिया है. इसलिए ETV BHARAT के स्पेशल प्रोग्राम 'YOUNGISTAN' में आज हम बात करेंगे टेरिटोरियल आर्मी यानी प्रादेशिक सेना के बारे में... टेरिटोरियल आर्मी के वालंटियर्स को प्रति वर्ष कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिये उनकी सेवाएं ली जा सकें.

Territorial Army in India
भारत में प्रादेशिक सेना

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Published : Feb 27, 2022, 7:46 PM IST

Updated : Feb 27, 2022, 7:56 PM IST

शिमला: रूस के साथ मौजूदा जंग में यूक्रेन को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. जंग के हालात को देखते हुए यूक्रेन ने अपने उन नागरिकों में हथियार बांटे हैं जिन्हें टेरिटोरियल आर्मी की ट्रेनिंग दी गई थी. जंग की इस घड़ी में यूक्रेन के हर नागरिक के पास आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की परमिशन होगी. ऐसे में सवाल आपके मन में जरूर उठ रहा होगा कि आखिर ये टेरिटोरियल आर्मी है क्या? और क्या हमारे देश में भी इस तरह की कोई व्यवस्था है ?

क्या है टेरिटोरियल आर्मी?-टेरिटोरियल आर्मी यानी प्रादेशिक सेना, जो भारतीय सेना (What is Territorial Army in India) की ही एक ईकाई है. यह हमारी रक्षा पंक्ति की सेकंड लाइन है. युद्ध के समय फ्रंट लाइन में तैनाती के लिए भी इसका उपयोग होता है. अगर आप किसी कारणवश सेना की वर्दी नहीं पहन सके तो आपको टेरिटोरियल आर्मी ये मौका देती है. 9 अक्तूबर का दिन प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी के नाम से मनाया जाता है.

भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर, 1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम 1948 के अनुसार भारत में अक्टूबर, 1949 में टेरिटोरियल आर्मी स्थापित हुई. जिसका मकसद युद्ध या किसी अन्य संकट के समय देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालना है. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर सेना को सहायता देना है. कुल मिलाकर इसका मकसद युवाओं को देशसेवा का मौका देना है भले वो पार्ट टाइम हो.

कौन ज्वाइन कर सकता है टेरिटोरियल आर्मी ?- टेरिटोरियल आर्मी के वालंटियर्स को प्रति वर्ष कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिये उनकी सेवाएं ली जा सकें. टेरिटोरियल आर्मी (How to join Territorial Army) के लिए सिर्फ भारतीय नागरिक ही अप्लाई कर सकते हैं. यह भारत के आम नागरिकों के लिए सेना को शौकिया तौर पर अपनाने का एक माध्यम है.

इसमें किसी भी रिजर्व्ड कैटेगरी यानि आरक्षित श्रेणी के लोगों को आयु में छूट नहीं दी जाती है. टेरिटोरियल आर्मी जॉइन करने के लिए आपको किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री चाहिए. टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होने वाले नागरिकों को थोड़े समय के लिए कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वह सक्षम सैनिक बन सकें. इसके लिए मेडिकली फिट होना भी जरूरी है.

Territorial Army भर्ती के लिए इन पदों पर भर्ती निकाली जाती है

सैनिक सामान्य, ड्यूटी सैनिक, क्लर्क सोल्जर, ट्रेड्समैन, ऑफिसर

Territorial Army भर्ती के लिए आपको इन चरणों को पास करना होगा

शारीरिक परीक्षण (Physical Test)

शारीरिक माप टेस्ट (Physical Measurement)

दस्तावेजों का सत्यापन (Document Verification)

मेडिकल परीक्षण (Medical Test)

लिखित परीक्षा (Written Test)

मेरिट लिस्ट (Merit List)

Territorial Army training

1. बटालियन मिलने के बाद तुरंत एक माह की ‘रिक्रूट ट्रेनिंग’ दी जाती है.

2. कमीशन प्राप्त होने के बाद ‘पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग’ से पहले तीन माह की ‘बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग’ मिलती है. यह प्रशिक्षण ‘टीए ट्रेनिंग स्कूल’ में दिया जाता है.

3. बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग के बाद तीन माह की पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग दी जाती है. बाद के वर्षो में दो माह का वार्षिक ‘ट्रेनिंग कैंप’ लगता है.

इस आधार पर मिलेगी सैलरी- प्रादेशिक सेना (टेरीटोरियल आर्मी) में वेतन सिर्फ उनके काम के अनुसार मिलता है. यदि आप साल के 12 महीनो में काम करते हैं तो आपको पूरे 12 मास का वेतन मिलेगा. यह आप पर (Territorial Army salary) निर्भर करेगा की आप कितने समय तक अपनी सर्विस इस सेना में देते हो. प्रादेशिक सेना (टेरीटोरियल आर्मी) में वेतन सिर्फ आपके काम के अनुसार मिलता है. यदि आप साल के 12 महीनो में काम करते हैं तो आपको पूरे 12 मास का वेतन मिलेगा. यह आप पर निर्भर करेगा की आप कितने समय तक अपनी सर्विस इस सेना में देते हो.

प्रादेशिक सेना में वेतन प्रणाली सरल है क्योंकि निजी क्षेत्र में आपको आपके काम का वेतन मिलेगा यानी नो वर्क नो मनी. प्रादेशिक सेना भी इसी अवधारणा यानी "नो वर्क नो मनी" पर काम करती है. टीए में दो प्रकार के कर्मचारी होते हैं, कुछ नियमित होते हैं और कुछ नियमित आधार पर नहीं होते हैं.

20 वर्ष बाद पेंशन का प्रावधान ऑफिसर्स के लिए रखा गया है परन्तु पेंशन (Territorial Army benefits) तभी मिलेगी जब आपकी 20 वर्ष की नौकरी शारीरिक गतिविधियों में टेरीटोरियल आर्मी के लिए पूरी हुई हो. 15 साल बाद JCO और अन्य रैंक के लिए भी पेंशन का प्रावधान रखा गया है परन्तु इसमें आपके 15 साल शारीरिक गतिविधियों के तौर पर टेरिटोरियल आर्मी के लिए पूरी होनी चाहिए. पेंशन, मेडिकल सुविधायें भी रेगुलर आर्मी की तरह ही हैं.

भारत की इन हस्तियों ने भी ज्वाइन की है Territorial Army-भारत के महानतम क्रिकेटर्स में से एक, महेंद्र सिंह धोनी 2011 में टेरिटोरियल आर्मी का हिस्‍सा बने थे. उन्‍हें 106 पैरा यूनिट में हॉनरेरी लेफ्टिनेंट कर्नल का पद दिया गया है. इसके अलावा शूटर अभिनव बिंद्रा को भी कर्नल के तौर पर TA में कमिशन किया गया था. 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में गोल्‍ड मेडल जीतने वाले बिंद्रा भारत को यह सम्‍मान दिलाने वाली पहली हस्‍ती हैं.

इसके अलावा केंद्रीय वित्त राज्‍य मंत्री अनुराग ठाकुर जुलाई 2016 में TA का हिस्‍सा बने थे. तब सेनाध्‍यक्ष रहे जनरल दलबीर सुहाग ने उन्‍हें लेफ्टिनेंट के तौर पर TA में कमिशन कराया था. वह बीजेपी के पहले ऐसे सांसद हैं जो TA में शामिल हुए हैं. इसके अलावा कांग्रेस के नेता सचिन पायलट भी टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारी हैं. 2012 में जब उन्‍हें ऑफिसर बनाया गया था तो वह पहले एक केंद्रीय मंत्री बन गए थे जो TA में अधिकारी हैं.

भारत की इन हस्तियों ने भी ज्वाइन की है Territorial Army

वहीं, मलयालम सिनेमा के सुपरस्‍टार मोहनलाल 2009 में टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे. वह इकलौते ऐसे अभिनेता हैं जिन्‍हें यह सम्‍मान मिला है. मोहनलाल ने 'कीर्ति चक्र' और 'कुरुक्षेत्र' जैसी फिल्‍में करने के बाद आर्मी में दिलचस्‍पी ली, इसके बाद वह अपनी इच्‍छा से TA में शामिल हुए.

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Last Updated : Feb 27, 2022, 7:56 PM IST

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