शिमला:कारगिल में इतनी ऊंची चोटियों पर युद्ध लड़ना (kargil war story) विश्व की किसी भी सेना के लिए असंभव था. लेकिन भारतीय सेना के अदम्य साहस और बेजोड़ युद्ध कौशल ने ये असंभव काम संभव कर दिखाया. तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक भी विक्रम बत्रा की बहादुरी से अत्यंत प्रभावित थे. उन्होंने कहा था कि विक्रम बत्रा जीवित रहते तो देश के सबसे युवा सेनाध्यक्ष होते. काश! कैप्टन बत्रा अपने अनुभवों को सांझा करने के लिए जीवित होते. खैर, हिमाचल के ही दूसरे शूरवीर राइफलमैन संजय अब सूबेदार मेजर हैं. वे भी परमवीर हैं.
कैप्टन विक्रम बत्रा थे साहसी, दुश्मन सैनिक कहते थे शेरशाह:कारगिल विजय दिवस पर देश के सपूत कैप्टन विक्रम बत्रा के साहस की बात करना जरूरी है, ताकि देश की नई पीढ़ी वीरता के संस्कार हासिल कर सके. उनके शौर्य से पाकिस्तान की सेना में खौफ था. दुश्मन सैनिक उन्हें शेरशाह के (capt vikram batra story) नाम से पुकारते थे. अहम चोटियों पर तिरंगा लहराने के बाद भी कैप्टन विक्रम ने अपने आराम की परवाह भी नहीं की और जो नारा बुलंद किया, वो इतिहास बन गया है. विक्रम बत्रा का-ये दिल मांगे मोर, नारा सैनिकों में जोश भर देता था.
कांगड़ा जिले के पालमपुर में जन्में थे बत्रा: कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना के ताज में जड़े बेमिसाल हीरों में से एक हैं. हिमाचल में कांगड़ा जिले के पालमपुर के गांव घुग्गर में 9 सितंबर 1974 को उनका जन्म हुआ था. डीएवी स्कूल पालमपुर में पढ़ाई के बाद कॉलेज की शिक्षा उन्होंने डीएवी चंडीगढ़ से हासिल की. वर्ष 1996 में वे मिलेट्री अकादमी देहरादून के लिए सिलेक्ट हुए. कमीशन हासिल करने के बाद उनकी नियुक्ति 13 जैक राइफल में हुई.
देश के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान: जून 1999 में कारगिल युद्ध छिड़ गया. ऑपरेशन विजय के तहत विक्रम बत्रा भी मोर्चे पर पहुंचे. उनकी डैल्टा कंपनी को पॉइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना के ध्वस्त करते हुए विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने पॉइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. देश के इस सपूत ने युद्ध के दौरान कई दुस्साहसिक फैसले लिए. जुलाई 1999 की 7 तारीख थी. कई दिनों से मोर्चे पर डटे कैप्टन विक्रम को उनके ऑफिसर्स ने आराम करने की सलाह दी थी, जिसे वे नजर अंदाज करते रहे. इसी दिन वे पॉइंट 4875 पर युद्ध के दौरान उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया.
बिलासपुर के वीर सपूत संजय कुमार ने भी दिखाया अदम्य शौर्य:बिलासपुर जिले के बकैण गांव के संजय कुमार ने भी कारगिल युद्ध में अदम्य शौर्य दिखाया. कारगिल की पॉइंट 4875 चोटी पर पाकिस्तान ने भारतीय सेना के इस योद्धा का साहस देखा. संजय का सामना पाकिस्तानी सैनिकों की ऑटोमैटिक मशीनगन से हो गया था. संजय कुमार ने निहत्थे ही उनकी मशीनगन ध्वस्त कर सैनिकों को मार गिराया था. संजय के साहस से घबराए पाकिस्तानी सैनिक अपनी यूनिवर्सल मशीनगन छोड़ कर भाग गए थे. भारतीय सेना की 13 जैक राइफल के संजय कुमार को इस शौर्य के लिए परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया था. संजय कुमार 3 मार्च 1976 को बिलासपुर के बकैण गांव में जन्मे थे. वे कई संस्थानों में जाकर कारगिल युद्ध के संस्मरण सुना चुके हैं.
देवभूमि के 52 सपूतों ने देश के लिए कुर्बानी दी: कारगिल युद्ध में हिमाचल से संबंध रखने वाले सैनिकों व अफसरों की अहम भूमिका रही. उनमें ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह का भी नाम है. शिमला जिले से पहले शहीद यशवंत सिंह थे. शहादत का जाम पीकर जब यशवंत सिंह की पार्थिव देह शिमला के रिज मैदान पर दर्शनों के लिए रखी गई थी. उस समय रिज मैदान पर हजारों की संख्या में नम आंखों ने उन्हें विदाई दी थी. उस दिन रिज मैदान पर तिल धरने को जगह नहीं थी. यशवंत सिंह के साथ देवभूमि के 52 सपूतों ने देश के लिए कुर्बानी दी थी.
हिमाचल के वीर सैनिकों व अफसरों को मिले शौर्य सम्मान: कारगिल युद्ध में हिमाचल के वीर सैनिकों व अफसरों को शौर्य सम्मान मिले थे. ऊना जिले के कैप्टन अमोल कालिया को वीर चक्र मिला था. कैप्टन अमोल कालिया के अलावा हवलदार उधम सिंह, राइफलमैन श्याम सिंह, मेजर संजीव सिंह व राइफलमैन मेहर सिंह शामिल हैं. इन वीरों के अलावा नायक अश्विनी कुमार, कैप्टन दीपक गुलेरिया, हवलदार डोला राम, नायक दलीप सिंह, मेजर जनरल कुलवीर सिंह, ब्रिगेडियर अनिल कायस्थ, नायब सूबेदार श्रवण सिंह, नायक अजय पठानिया व पूर्व आनरेरी कैप्टन खूब राम को सेना मेडल से सम्मानित किया गया. मंडी जिले के ब्रिगेडियर खुशाल सिंह को युद्ध सेना मेडल और एवीएम जेके पठानिया को उत्तम युद्ध सेना मेडल मिला. लेफ्टिनेंट जनरल पीसी कटोच को बलिदान के उपरांत उत्तम चंद को युद्ध सेना मेडल दिया गया था. हिमाचल के बलिदानी सपूत-
कांगड़ा | मंडी | हमीरपुर | बिलासपुर | शिमला | ऊना | सोलन | सिरमौर | चंबा | कुल्लू |
कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र | कैप्टन दीपक गुलेरिया | हवलदार कश्मीर सिंह | हवलदार उधम सिंह | ग्रेनेडियर यशवंत सिंह | कैप्टन अमोल कालिया | सिपाही धर्मेंद्र सिंह | राइफलमैन कुलविंद्र सिंह | सिपाही खेम राज | हवलदार डोला राम |
कैप्टन सौरभ कालिया | नायब सूबेदार खेम चंद राणा | हवलदार राजकुमार | नायक मंगल सिंह | राइफलमैन श्याम सिंह | राइफलमैन मनोहर लाल | राइफलमैन प्रदीप कुमार | राइफलमैन कल्याण सिंह | ||
ग्रेनेडियर विजेंद्र सिंह | हवलदार कृष्ण चंद | हवलदार स्वामीदास चंदेल | राइफलमैन विजय पाल | ग्रेनेडियर नरेश कुमार | |||||
राइफलमैन राकेश कुमार | नायक स्वर्ण कुमार | सिपाही राकेश कुमार | हवलदार राजकुमार | ग्रेनेडियर अनंत राम | |||||