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श्री राधा कृष्ण मंदिर में धूमधाम से मनाई गई जन्माष्टमी, 132 सालों से किया जा रहा कार्यक्रम का आयोजन - शिमला लेटेस्ट न्यूज

शिमला के मशहूर राधा कृष्ण मंदिर में भी जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया. श्री राधा कृष्ण मंदिर में 132 साल से भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जा रहा है. श्री सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष अजय सूद ने बताया कि बीते 132 सालों से लगातार भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल भी कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन इस साल को कोरोना की वजह से भक्तों को मंदिर में बैठने की अनुमति नहीं दी गई है.

राधा कृष्ण मंदिर
राधा कृष्ण मंदिर

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Published : Aug 30, 2021, 5:58 PM IST

शिमलाःदेशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी बेहद हर्षोल्लास के साथ कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. शिमला के मशहूर राधा कृष्ण मंदिर में भी जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया. श्री राधा कृष्ण मंदिर में 132 साल से भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जा रहा है.

श्री सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष अजय सूद ने बताया कि बीते 132 सालों से लगातार भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल भी कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन इस साल को कोरोना की वजह से भक्तों को मंदिर में बैठने की अनुमति नहीं दी गई है. भक्त केवल दर्शन ही कर सकते हैं. दर्शन के बाद भक्तों को बैठने की अनुमति नहीं है.

इसके अलावा मंदिर परिसर में बिना मास्क भक्तों को प्रवेश नहीं दिया गया. मंदिर में आने-जाने के लिए अलग द्वार बनाए गए हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग सही तरह से हो सके. बीते साल भी कोरोना की वजह से कार्यक्रम नहीं हो सका था.

मान्यताओं के अनुसार भाई कंस के अत्याचार सहते हुए कारागार में बंद माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान ने पृथ्वी को कंस के आतंक से मुक्त कारने के लिए अवतार लिया था.

इसी मान्यता के अनुसार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है. यही कारण है कि यह पर्व विशेष महत्व रखता है. भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए इस दिन लोग उपवास रखने के साथ विधि-विधान से पूजा और भजन करते हैं.

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मंदिरों में विशेष सजावट करके भगवान की प्रक्टोत्सव को विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है. कुछ स्थानों में दही-हांडी का भी उत्सव रखा जाता है. मध्यरात्रि के समय भगवान के जन्मोत्सव के समय सभी लोग मंदिरों में एकत्रित होकर विशेष पूजा करते हैं.

मान्यताओं के अनुसार भाई कंस के अत्याचार सहते हुए कारागार में बंद माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान ने पृथ्वी को कंस के आतंक से मुक्त कारने के लिए अवतार लिया था. इसी मान्यता के अनुसार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है.

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है. यही कारण है कि यह पर्व विशेष महत्व रखता है. भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए इस दिन लोग उपवास रखने के साथ विधि-विधान से पूजा और भजन करते हैं. मंदिरों में विशेष सजावट करके भगवान की प्रक्टोत्सव को विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है. कुछ स्थानों में दही-हांडी का भी उत्सव रखा जाता है. मध्यरात्रि के समय भगवान के जन्मोत्सव के समय सभी लोग मंदिरों में एकत्रित होकर विशेष पूजा करते हैं.

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