शिमला: वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान देश और दुनिया में कई तरह के संकट आए. संसाधनों की कमी वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल की सरकार ने कोरोना संकट के बावजूद मंत्रियों व अफसरों के लिए लग्जरी गाड़ियां खरीदने में कोई कंजूसी नहीं बरती. जयराम सरकार ने नए वादे और इरादे के साथ सत्ता संभाली थी और ऐलान किया था कि फिजूलखर्ची बंद करके एक-एक पैसे को दांत से पकड़ा जाएगा. लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ. चार साल के दौरान भाजपा सरकार ने 6 करोड़ से अधिक की गाड़ियां खरीदी (Jairam government bought more than 6 crore vehicles). इसमें से 2 साल कोविड संकट के भी शामिल हैं.
नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) सहित कांग्रेस के नेता आरोप लगाते हैं कि जयराम सरकार को अफसरशाही चला रही है ऐसे ही आरोपों के बीच एक दिलचस्प बात यह है कि इस समय हिमाचल के मुख्य सचिव की सरकारी गाड़ी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गाड़ी से भी महंगी है.इस संदर्भ में ईटीवी भारत के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि सत्ता संभालते ही जयराम सरकार ने 1. 90 करोड़ रुपए से अधिक की 6 लग्जरी गाड़ियां खरीदी. अगले साल यानी 2019 में 2.27 करोड़ की सात गाड़ियां खरीदी. देश और दुनिया में कोरोना संकट 2020 में आया और मार्च महीने में हिमाचल में लॉकडाउन लगा दिया गया.
इस तरह सरकार ने 2020 में कम गाड़ियां खरीदी. तब केवल अफसरशाही के लिए 46 लाख से अधिक की दो इनोवा गाड़ियां खरीदी (ministers and officers in Himachal) गई. वर्ष 2021 में कोरोना की दूसरी लहर में हिमाचल को भी गहरे जख्म झेलने पड़े. सैकड़ों लोगों की मौत हुई और अर्थव्यवस्था मुश्किलों से घिर गई. उस दौरान भी सरकार ने 1.39 करोड़ की 5 गाड़ियां खरीदी. ये गाड़ियां स्टेट गेस्ट पूल के अलावा टॉप ब्यूरोक्रेसी के लिए खरीदी गई. दिलचस्प बात यह है कि अफसरशाही के मुखिया की गाड़ी सरकार के मुखिया की गाड़ी से भी महंगी है. इस समय हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह (Himachal Chief Secretary Ram Subhag Singh) 41.54 लाख रुपए से अधिक कीमत की कैमरी हाइब्रिड लग्जरी कार में सफर करते हैं.
हिमाचल के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह. (फाइल फोटो) 30 लाख रुपए की आलीशान गाड़ियों में सफर करते हैं जयराम सरकार के मंत्री:जयराम सरकार के मंत्री (Ministers of Jairam Government) 30 लाख रुपए से अधिक की लग्जरी गाड़ियों (फॉर्चूनर) में सफर करते हैं. सरकार बनने के तत्काल बाद ही मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों के लिए नई गाड़ियों के ऑर्डर दे दिए गए थे. वर्ष 2018 में जयराम सरकार के मंत्रियों के लिए 1 करोड़ 90 लाख 37 हजार 878 रुपए की 6 लग्जरी गाड़ियां खरीदी गई. सबसे पहली गाड़ी तत्कालीन ऊर्जा मंत्री के लिए खरीदी गई थी. जिसकी कीमत 31 लाख 65 हजार रुपए है. इसके बाद मुख्यमंत्री के लिए 31 लाख 17 हजार रुपए, शिक्षा मंत्री के लिए 31 लाख 65 हजार, स्वास्थ्य मंत्री के लिए 32 लाख 12 हजार, वन मंत्री के लिए 31 लाख 65 हजार, उद्योग मंत्री के लिए 32 लाख 12 हजार रुपए की लग्जरी (फॉर्चूनर) खरीदी गई.
वित्त आयोग के अध्यक्ष सतपाल सत्ती की गाड़ी 32 लाख की: इसके बाद वर्ष 2019 में 2 करोड़ 27 लाख 91 हजार 726 रुपए की 7 लग्जरी गाड़ियां खरीदी. वर्ष की शुरुआत में छठे वित्त आयोग के अध्यक्ष सतपाल सत्ती (Himachal Finance Commission Chairman Satpal Satti) के लिए 32 लाख 42 हजार, शहरी विकास मंत्री के लिए 32 लाख 42 हजार, तकनीकी शिक्षा मंत्री के लिए 32 लाख 42 हजार, ग्रामीण विकास मंत्री के लिए 32 लाख 73 हजार, जल शक्ति मंत्री के लिए 32 लाख 73 हजार, मुख्यमंत्री के लिए 32 लाख 73 हजार और खाद्य आपूर्ति मंत्री 32 लाख 42 हजार रुपए में खरीदी. कोरोना संकट की शुरुआत में ही सचिवालय के स्टेट गेस्ट पूल के लिए 23 लाख 15 हजार 818 रुपए की लग्जरी गाड़ी खरीदी गई.
हिमाचल वित्त आयोग के अध्यक्ष सतपाल सत्ती. (फाइल फोटो) इसके बाद मुख्य सचिव से लिए भी 23 लाख 6 हजार 378 रुपए रुपए की गाड़ी खरीदी गई. इसके बाद जब कोरोना अपनी अपनी पीक पर था तब वर्ष 2021 में जयराम सरकार की अफसरशाही के लिए भी लग्जरी गाड़ियों की खरीद की गई. प्रिंसिपल सेक्रेटरी रेवेन्यू के लिए 24 लाख 82 हजार रुपए, एसीएस सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता के लिए 24 लाख 82 हजार रुपए, स्टेट गेस्ट पूल के लिए 24 लाख 24 हजार रुपए में खरीदी. वहीं, सरकारी सिस्टम में हिमाचल में हर सरकार के दौरान मुख्यमंत्री के लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था रहती है. इस समय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए जो हेलीकॉप्टर प्रयोग में लाया जा रहा है उसका किराया प्रति घंटा 5 लाख रुपए से अधिक है हालांकि यह एक जरूरी साधन है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कई बार मानवीय कारणों से भी हेलिकॉप्टर जरूरत पर उपलब्ध करवाया है.
63 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज में डूबी है हिमाचल सरकार:आर्थिक संसाधनों की कमी वाले हिमाचल प्रदेश में कर्ज एक बड़ा संकट (Debt Burden on Himachal Pradesh) है. सरकार पर इस समय 63 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. कैग कई बार चेतावनी दे चुका है कि हिमाचल कर्ज के जाल यानी DEBT TRAP में फंस चुका है. कांग्रेस सरकार के दौरान विद्या स्टोक्स की अगुवाई में एक कमेटी बनी थी जिसका मकसद सरकारी खर्च में कटौती करना और बचत के सूत्र लागू करना था. लेकिन उस कमेटी की सिफारिशें जनता के समक्ष नहीं आ पाई.
कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, सरकारी खर्च पर अंकुश लगाने का कभी प्रयास नहीं हुआ. केंद्र से मिलने वाली मदद पर निर्भर हिमाचल में महंगी गाड़ियां खरीदने के औचित्य पर सवाल भी उठते रहे हैं. माकपा नेता और ठियोग से विधायक राकेश सिंघा ने सदन में यात्रा भत्ते की बढ़ोतरी का भी विरोध किया था. उन्होंने आरंभ से ही सरकार से पीएसओ की सुविधा नहीं ली है. माकपा नेता डॉ. केएस तंवर का कहना है कि कर्ज में डूबी सरकार को सोच समझ कर गाड़ियां लेनी चाहिए. यदि किसी मंत्री के पास एक से अधिक विभाग है तो उसे हर विभाग में गाड़ी खरीदने से परहेज करना चाहिए. ईटीवी भारत ने इस संदर्भ में सामान्य प्रशासन विभाग से आधिकारिक जानकारी जुटाई है और उसी आधार पर वर्षवार गाड़ियों की खरीद का ब्यौरा दिया है.
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