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IIAS में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, बोले राज्यपाल: देश के लिए बलिदान की भावना का होना आवश्यक

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भाग लिया. इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्र का अर्थ है 'नागरिकों की बलिदान की भावना'. अगर बलिदान की भावना नहीं होगी, तो हमारे जीवन और इसका अस्तित्व ही व्यर्थ हो जाएगा.

हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर
हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

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Published : Aug 1, 2021, 5:28 PM IST

Updated : Aug 1, 2021, 6:17 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Himachal Governor Rajendra Arlekar) ने भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (Indian Institute of Advanced Study) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference) के उद्घाटन समारोह में भाग लिया. सम्मेलन 'श्री अरविंद एंड इंडिया रेनिसेंस' विषय (Shree Arvind and India Renaissance Subject) पर आयोजित किया गया था.

इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि अरविंद घोष एक विद्वान, कवि और राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने आध्यात्मिक विकास के माध्यम से सार्वभौमिक मुक्ति के दर्शन को प्रतिपादित किया. वह न केवल भारतीय क्रांतिकारियों में अग्रणी थे, बल्कि दूरदर्शी भी थे. जिन्होंने एक उभरते हुए भारत का पूर्वाभास किया और राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया.

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि अरविंद घोष का पूरा जीवन बलिदान भरा रहा. मन में त्याग का भाव हो तो सारा संसार तुम्हारा है, क्योंकि जब भी त्याग की भावना होती है, तो उसके दृष्टिकोण से भिन्न-भिन्न विषयों का समाधान किया जा सकता है. देश के लिए बलिदान की भावना का होना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि जब कई आत्माएं त्याग की भावना से आगे बढ़ती हैं, तो समय के साथ राष्ट्र और अधिक सुदृढ़ हो जाता है.

राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्र का अर्थ है 'नागरिकों की बलिदान की भावना'. राज्यपाल ने कहा कि अगर बलिदान की भावना नहीं होगी, तो हमारे जीवन और इसका अस्तित्व ही व्यर्थ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि श्री अरविंद ने राष्ट्रवाद की विचारधारा और त्याग की भावना का देश में प्रसार किया था. उन्होंने देश की राजनीति में भी बहुमूल्य योगदान दिया. वह आधुनिक भारत के योगी थे, जिन्होंने सर्वप्रथम स्वराज का नारा दिया था. वे कहते थे कि यदि स्वराज पाकर भी आप देश नहीं चला सकते हैं, तो फिर वही स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. उनका योगदान अतुलनीय है.

अरविंद घोष ने कहा था कि देश केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि एक जीवंत राष्ट्र है. राष्ट्र में एक आत्मा होती है, जिसकी चेतना से राष्ट्र विकसित होता है. अगर यह चेतना मर जाती है, तो राष्ट्र टुकड़ों में बिखर जाता है. इसलिए देश को राष्ट्रीय चेतना और नवाचार की आवश्यकता है. उन्होंने यह विचार लगभग सौ वर्ष पूर्व हमारे सामने रखे थे.

राज्यपाल ने कहा कि हमें देश से सब कुछ मिला है और जब हम आजादी के 75 वर्ष मना रहे हैं, तो नागरिकों को देश और समाज में योगदान देने का संकल्प लेना होगा, जिससे अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समझने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

राज्यपाल ने श्री अरविंद घोष के चित्र और 'हिमांजलि' नामक पुस्तक का भी अनावरण भी किया. इससे पूर्व आईआईएएस शिमला के निदेशक प्रो. मकरंद आर. परांजपे ने राज्यपाल का स्वागत किया और संस्थान के हेरिटेज भवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी. उन्होंने श्री अरविंद घोष द्वारा समाज और राष्ट्र के लिए दिए गए योगदान पर भी चर्चा की. इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक प्रो.सम्पदानन्द मिश्रा ने भी अपने विचार रखे.

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन समारोह के बाद राज्यपाल ने आईआईएएस शिमला में टेनिस कोर्ट का भी उद्घाटन किया. इस मौके पर राज्यपाल ने पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू और आरट्रेक मेजर जनरल राज शुक्ला के साथ टेनिस भी खेला.

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Last Updated : Aug 1, 2021, 6:17 PM IST

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