शिमला:इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में शनिवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (State Organ Tissue Transplant Organization) की ओर से 12वां इंडियन ऑर्गन डोनेशन दिवस मनाया गया (National Organ Donation Day 2021). इस मौके पर आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ. सुरेंद्र सिंह विशेष रूप से (IGMC Principal Dr. Surendra Singh) उपस्थित रहे. अंगदान के प्रति छात्रों को प्रेरित करते हुए प्रधानाचार्य ने सबसे पहले ऑर्गन डोनेशन का शपथ पत्र भरा. कार्यक्रम में आई बैंक के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. यशपाल रांटा ने एमबीबीएस के छात्रों को ऑर्गन डोनेशन (Organ Donation IGMC Shimla) के बारे में जागरूक किया.
उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति का जीवन बचाने के लिए डॉक्टर होना ही जरूरी नहीं है, बल्कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि साल 1954 में पहली बार ऑर्गन ट्रांसप्लांट (First organ transplant) किया गया था. अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकते हैं. जीवित अंगदाता किडनी, लीवर का भाग, फेफड़े का भाग और बोन मैरो दान दे सकते हैंय
वहीं, मृत्युदाता यकृत, गुर्दे, फेफड़े, पेनक्रियाज, कॉर्निया और त्वचा दान कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि हृदय को 4 से 6 घंटे, फेफड़े को 4 से 8 घंटे, इंटेस्टाइन को 6 से 10 घंटे, यकृत को 12 से 15 घंटे, पेनक्रियाज को 12 से 14 घंटे और किडनी को 24 से 48 घंटे के अंतराल में जीवित व्यक्ति के शरीर में स्थानांतरित किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों (Accident patients) के ब्रेन डेड होने के बाद यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है. अस्पताल में मरीज को निगरानी में रखा जाता है और विशेष कमेटी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करती है.
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