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National Organ Donation Day 2021: अंगदान को लेकर आईजीएमसी में छात्रों को किया जागरूक - 27 नवंबर अंगदान दिवस

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में शनिवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (State Organ Tissue Transplant Organization) की ओर से 12वां इंडियन ऑर्गन डोनेशन दिवस मनाया (National Organ Donation Day 2021) गया. इस मौके पर आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ. सुरेंद्र सिंह (IGMC Principal Dr. Surendra Singh) विशेष रूप से उपस्थित रहे और अंगदान के प्रति 120 छात्रों को जागरूक किया गया.

Organ Donation Day celebrated IGMC
आईजीएमसी में मनाया गया इंडियन ऑर्गन डोनेशन दिवस

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Published : Nov 27, 2021, 7:15 PM IST

शिमला:इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में शनिवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (State Organ Tissue Transplant Organization) की ओर से 12वां इंडियन ऑर्गन डोनेशन दिवस मनाया गया (National Organ Donation Day 2021). इस मौके पर आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ. सुरेंद्र सिंह विशेष रूप से (IGMC Principal Dr. Surendra Singh) उपस्थित रहे. अंगदान के प्रति छात्रों को प्रेरित करते हुए प्रधानाचार्य ने सबसे पहले ऑर्गन डोनेशन का शपथ पत्र भरा. कार्यक्रम में आई बैंक के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. यशपाल रांटा ने एमबीबीएस के छात्रों को ऑर्गन डोनेशन (Organ Donation IGMC Shimla) के बारे में जागरूक किया.

उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति का जीवन बचाने के लिए डॉक्टर होना ही जरूरी नहीं है, बल्कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि साल 1954 में पहली बार ऑर्गन ट्रांसप्लांट (First organ transplant) किया गया था. अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकते हैं. जीवित अंगदाता किडनी, लीवर का भाग, फेफड़े का भाग और बोन मैरो दान दे सकते हैंय

वहीं, मृत्युदाता यकृत, गुर्दे, फेफड़े, पेनक्रियाज, कॉर्निया और त्वचा दान कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि हृदय को 4 से 6 घंटे, फेफड़े को 4 से 8 घंटे, इंटेस्टाइन को 6 से 10 घंटे, यकृत को 12 से 15 घंटे, पेनक्रियाज को 12 से 14 घंटे और किडनी को 24 से 48 घंटे के अंतराल में जीवित व्यक्ति के शरीर में स्थानांतरित किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों (Accident patients) के ब्रेन डेड होने के बाद यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है. अस्पताल में मरीज को निगरानी में रखा जाता है और विशेष कमेटी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करती है.

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मृतक के अंग लेने के लिए पारिवारिक जनों की सहमति बेहद जरूरी रहती है. उन्होंने कहा कि साल 2010 से अस्पताल में आई बैंक खोला गया है, इसके तहत मौजूदा समय तक सैकड़ों मरीजों ने आंखें दान करके जरूरतमंद मरीजों के जीवन में रोशनी भर दी है. उन्होंने छात्रों से अनुरोध करते हुए कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में अंगदान को लेकर जागरूकता (Awareness about Organ Donation) फैलाएं ताकि जरूरतमंद को नई जिंदगी मिल सके. उन्होंने बताया कि देश भर में प्रतिदिन 6000 मरीज समय पर ऑर्गन न मिलने के कारण मरते हैं, जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

कार्यक्रम में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के 120 छात्रों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया. वहीं, कार्यक्रम के अंत में कॉलेज प्रधानाचार्य ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में अंगदान को लेकर अलग-अलग भ्रांतियां फैली हुई है. भ्रांतियों को समय रहते दूर किया जाना चाहिए और अधिक से अधिक लोगों को इसके महत्व के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए. इससे प्रभावित मरीजों का सर्वाइवल रेट बढ़ सकता है (Organ Donation Awareness Seminar IGMC).

आमतौर पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant IGMC)वाले लाभार्थी मरीज सहजता से 20 से 25 साल तक का जीवन जी पाते हैं. उन्होंने बताया कि अंगों की तस्करी के अपराध को रोकने के लिए सरकार की ओर से विशेष कदम उठाए जा रहे हैं. आई बैंक व सोटो द्वारा किए गए प्रयास की सराहना की. कार्यक्रम में सोटो के नोडल अधिकारी डॉ पुनीत महाजन, एनोटोमी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अंजू प्रताप, सोटो ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश, डाटा एंट्री ऑपरेटर भारती कश्यप मौजूद रही.

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