शिमला: कोरोना वायरस के बाद अब डेल्टा प्लस वेरिएंट(Delta Plus Variant) का खतरा बढ़ने लगा है. हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में कोरोना डेल्टा प्लस वेरिएंट का पहला मामला सामने आया है. कांगड़ा जिले के भवारना के पास के एक गांव की 20 साल की युवती के सैंपल में डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) मिलने की पुष्टि पिछले दिन हुई है. जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए दिल्ली भेजे गए सैंपल में इसकी पुष्टि हुई है. इसके बाद सरकार और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. दिल्ली से अभी कई सैंपल्स की रिपोर्ट आनी बाकी है. अब लगातार और सैंपल नई दिल्ली भेजने का सिलसिला जारी हो गया है.
ईटीवी हिमाचल प्रदेश से MS डॉ. जनकराज की खास बातचीत
हालांकि, आईजीएमसी से भेजे गए सैंपल में से कोई भी मामला डेल्टा प्लस वेरिएंट का सामने नहीं आया है, लेकिन एहतियात बरतना जरूरी है. सूबे के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर क्या तैयारी है. इस मुद्दे पर एमएस डॉ. जनक राज ने ईटीवी हिमाचल प्रदेश से खास बातचीत की है.
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज ने कहा कि कोरोना एक से दूसरे में फैलने वाला वायरस है. इस दौरान वायरस में कुछ मूलभूत परिवर्तन होते हैं. उसी तरह कोरोना का ट्रांसमिशन, जिसमें वायरस में आरएनए और डीएनए में बदलाव आता है. जिसे मेडिकल टर्मिनोलॉजी में न्यूट्रिशन कहा जाता है. डेल्टा प्लस कोरोना से ज्यादा घातक है. इससे बचने के लिए केवल कोविड नियमों का पालन करना होगा. डॉ. जनकराज ने कहा कि डेल्टा प्लस, अल्फा, बीटा ये सभी कोरोना के मैक्रो बैलोजिकल असेसमेंट पर डिपेंड करता है, जो रिसर्च से ही पता चलता है.
डेल्टा प्लस वेरिएंट ने बढ़ाई टेंशन
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में डेल्टा वेरिएंट यानि 6.1.617.2 ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग की टेंशन बढ़ा दी है. डेल्टा वेरिएंट कई दूसरे देशों में भी पाया गया है. यही डेल्टा वेरिएंट अब म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस में तब्दील हो गया है. यह सबसे पहले यूरोप में मिला था. कुल मिलाकर डेल्टा प्लस पुराने वेरिएंट डेल्टा का विकसित रूप है. डेल्टा प्लस वेरिएंट पर फिलहाल अनुसंधान जारी है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो डेल्टा प्लस ज्यादा खतरनाक हो सकता है.
आईजीएमसी में क्या है व्यवस्था?