शिमला:पर्वतों की रानी शिमला से महज बीस किलोमीटर दूर विख्यात पर्यटन स्थल कुफरी की सैर आपकी जान जोखिम में डाल सकती है. यहां सैलानियों को घुड़सवारी का आनंद प्रदान करने के लिए सैंकड़ों घोड़े मौजूद हैं. लाखों सैलानी हर साल यहां घुड़सवारी का लुत्फ उठाते हैं, लेकिन यह शायद ही किसी को पता हो कि कुफरी की सैर आफत की सैर भी साबित हो सकती है.
दरअसल घोड़ों की लीद में स्पोर नामक एक जानलेवा बैक्टीरिया होता है. जिस जगह लीद गिरती है, वहां यह मिट्टी में मिल जाता है. यदि ऐसी जमीन पर जहां की मिट्टी में स्पोर हो, वहां कोई व्यक्ति गिर कर चोटिल हो जाए तो स्पोर घाव के जरिए चोटिल व्यक्ति के शरीर में पहुंच सकता है.
शरीर में पहुंचते ही स्पोर अपना प्रभाव छोड़ता है. जबड़ों पर अटैक कर स्पोर जबड़ों के टेढ़ा करता है और उसके जहरीले प्रभाव से इंसान की जान भी जा सकती है. कुफरी में घुड़सवारी करवाने के लिए नौ सौ से अधिक घोड़े मौजूद हैं. उनकी लीद से आसपास के सारे रास्ते भरे रहते हैं और वहां असहनीय दुर्गंध निकलती है.
हालत यह है कि घोड़ों की लीद वहां की मिट्टी में रच-बस गई है. ऐसे में किसी के भी यहां गिर कर चोटिल होने की आशंका रहती है. मेडिसिन विशेषज्ञ और आईजीएमसी अस्पताल शिमला के पूर्व प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉ.एलएस पाल के अनुसार घोड़ों की लीद में जानलेवा बैक्टिरियास्पोर पाया जाता है. यदि यह इंसान के शरीर में पहुंच जाए, तो घातक होता है. इसका पहला अटैक जबड़ों पर होता है.
स्पोर इस कदर घातक है कि इससे जान भी जा सकती है. पशु चिकित्सक डॉ. अमित भी इसकी पुष्टि करते हैं. उनके अनुसार घोड़ों की लीद में पाया जाने वाला स्पोर इंसान के लिए घातक है. साल 2016 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय भी इस मामले पर सख्त रवैया दिखा चुका है.