शिमला: हाईकोर्ट की फटकार के बाद जागी हिमाचल सरकार ने 15 साल बाद प्रदेश में मानवाधिकार आयोग को फंक्शनल किया. जस्टिस पीएस राणा की नियुक्ति ह्यूमन राइट्स कमीशन के चेयरमैन के तौर पर हुई. जैसे ही आयोग फंक्शनल हुआ, पेंडिंग पड़ी सभी शिकायतों को निपटा दिया गया है.
हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद बना मानवाधिकार आयोग
प्रदेश में जब आयोग फंक्शनल नहीं था, उस समय मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि क्या सरकार को जनता के अधिकारों की चिंता नहीं है? अब आयोग के सुचारू रूप से चलने पर जुलाई महीने के बाद से 1150 शिकायतें निपटाई जा चुकी हैं. यही नहीं, मानवाधिकार आयोग ने कई निर्देश भी जारी किए हैं, ताकि मानव अधिकारों का संरक्षण हो सके.
पांच महीने में निपटाई 1150 शिकायतें
जुलाई से अब तक पांच महीनों के अंदर ही 10 से 15 साल पुरानी 1150 शिकायतों का निपटारा किया गया है. इसमें ज्यादातर शिकायतकर्ता आयोग की कार्रवाई से खुश हैं. आयोग ने शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर संबंधित जिलों के एसपी, डीसी से रिपोर्ट तलब की. इस संबंध में इन अधिकारियों से शपथपत्र लिए गए. मौजूदा समय में कमीशन सौ से ज्यादा शिकायतों पर कार्रवाई कर रहा है. अधिकतर शिकायतें पुलिस के खिलाफ आई हैं.
डबल बैंच कर रही शिकायतों की रोजाना सुनवाई
इन शिकायतों का निपटारा करने के लिए आयोग के अध्यक्ष जस्टिस पीएस राणा की अगुवाई में डबल बैंच में रोजाना सुनवाई हो रही है. बैंच में न्यायमूर्ति अवतार सिंह डोगरा भी हैं. आयोग मानवाधिकार संरक्षण एक्ट 1993 के अनुसार आरोपित पक्ष पर आरोप साबित होने पर जुर्माना लगा सकता है. एक महीने के अंदर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी जाती है. अगर सरकार कोई कारवाई नहीं करती है तो आयोग अपने फैसले से हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट में से किसी एक को अवगत करवाता है.