शिमला:हिमाचल कांग्रेस की चुनावी राजनीति के साथ-साथ सत्ता और संगठन में वीरभद्र सिंह कांग्रेस का चेहरा थे. चुनाव के समय कांग्रेस के सभी नेता वीरभद्र रूपी छतरी के नीचे एकजुट हो जाते थे. दशकों तक हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह कांग्रेस की नैया के खवैया बने रहे. ये पहली बार है, जब कांग्रेस बिना वीरभद्र सिंह चुनावी मैदान में होगी. वीरभद्र सिंह कठिन समय में हिमाचल कांग्रेस को हर तरह के संकट से उबारते रहे. जनता के नेता के रूप में उनकी छवि का ही कमाल था कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार के लिए नहीं जाते थे और पूरे प्रदेश में पार्टी को जिताने के लिए घूमते थे. वर्ष 2012 के चुनाव में हाईकमान ने देखा कि कैसे वीरभद्र सिंह हारी हुई बाजी को पलटने में कामयाब हुए थे.
उस समय भाजपा सत्तासीन थी और मिशन रिपीट के आसार दिख रहे थे. वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति से वापस हिमाचल (role of virbhadra singh in himachal politics) आए. उस समय चौधरी बीरेंद्र सिंह हिमाचल कांग्रेस के प्रभारी थे. वीरभद्र सिंह समर्थकों ने अपने नेता के प्रति ऐसी जोरदार नारेबाजी से कांग्रेस कार्यालय को गुंजाया कि चौधरी बीरेंद्र सिंह हैरत में पड़ गए. तब चुनाव में वीरभद्र सिंह ने पार्टी को जिताने का जिम्मा लिया और अपने समर्थकों को टिकट आवंटन में हाथ ऊपर रखा. पार्टी चुनाव जीत गई और वीरभद्र सिंह छठी बार हिमाचल के सीएम बने.
हिमाचल कांग्रेस के लिए संजीवनी थे वीरभद्र सिंह: वीरभद्र सिंह की मौजूदगी ही कांग्रेस के लिए संजीवनी थी. पिछले साल वे देह से स्मृति हो गए. उनके देहांत के बाद उपजी सहानुभूति लहर ने ही मंडी लोकसभा व तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाई. लेकिन अब कांग्रेस को उनके चमत्कारी नेतृत्व के बिना ही मैदान में उतरना पड़ेगा. कांग्रेस ने घोषणा की है कि वो बिना सीएम फेस चुनाव लड़ेगी. वहीं, वीरभद्र सिंह के रहते ये संभव ही नहीं था कि कांग्रेस में कोई और सीएम बनने की सोचे.
कारण ये था कि कांग्रेस में कोई नेता उन के कद का था नहीं और वीरभद्र सिंह अपने विरोधियों को दो टूक कहते थे कि अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर निकल नहीं सकते तो सीएम कैसे बनेंगे. अपनी मौजूदगी के दौरान विद्या स्टोक्स और कौल सिंह ने वीरभद्र सिंह के समक्ष चुनौती बनने की कोशिश की थी, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए. यहां तक कि वीरभद्र सिंह हाईकमान के समक्ष भी अपना हठ नहीं छोड़ते थे. हाईकमान को भी अहसास था कि बिना वीरभद्र सिंह हिमाचल में कांग्रेस सत्ता में नहीं आ सकती.