शिमला :वैसे तो देवभूमि की देश और विदेश में खास पहचान सेब राज्य के रूप में है, लेकिन हिमाचल के बागवानी मंत्री इसे फल राज्य के तौर पर पहचाने जाने की बात कह रहे हैं. विधानसभा के बजट सत्र (Himachal Vidhan Sabha Budget Session)में कुछ ऐसा ही कहा बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने.दरअसल विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान झंडूता विधायक जेआर कटवाल व हमीरपुर के विधायक नरेंद्र ठाकुर ने ड्रैगन फ्रूट की बागवानी (question on dragon fruit in assembly)इसे बढ़ावा देने को लेकर कोई योजना और समर्थन मूल्य से जुड़ा सवाल किया था.
बागवानी मंत्री ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की पैदावार कांगड़ा व ऊना के कुछ चुनिंदा बागवान कर रहे हैं. बागवानी मंत्री ने कहा कि इसकी पैदावार के लिए योजना तैयार करने और समर्थन मूल्य देने के लिए मामला विचाराधीन है. बागवानी मंत्री आरंभ से ही यह कहते आ रहे कि हिमाचल में सब-ट्रॉपिकल फलों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है. अभी तक सारे प्रयास सेब उत्पादन को लेकर ही किए गए .अब सरकार का ध्यान गर्म जलवायु वाले जिलों के फलों को प्रोत्साहन देने का भी है.
बागवानी मंत्री ने कहा कि सरकार एडीबी के जरिए बड़े प्रोजेक्ट के तहत इस पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर उनकी नौणी यूनिवर्सिटी के अफसरों से चर्चा हुई है.
वहीं, एक अन्य सवाल के जवाब में ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पावर प्रोजेक्ट निर्माण कार्य में कुछ ऐसी संस्थाएं रोड़ा अटका रही , जिनका संबंधित क्षेत्र के साथ कोई लेना-देना नहीं है. इसके अलावा कुछ पर्यावरणविद और स्थानीय जनप्रतिनिधि में निर्माण कार्य में अड़चन डाल रहे. किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट के विरोध को लेकर सवाल किया था. जगत नेगी का कहना था कि पावर प्रोजेक्ट निर्माण के लिए एन.ओ.सी. देने से पहले स्थानीय विधायक और स्थानीय जनता का पक्ष नहीं सुना जाता है. उन्होंने कहा कि जंगी-थोपन-पावर प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले लोगों का मुख्यमंत्री से लेकर सरकारी स्तर पर पक्ष नहीं सुना जा रहा है.
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि 780 मेगावाट के जंगी-थोपन-पोवारी पावर प्रोजेक्ट को लेकर 25 सितम्बर, 2019 में एस.जे.वी.एन.एल. के साथ समझौता हुआ है. इस परियोजना को लेकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है. फिलहाल प्रोजेक्ट को रद्द करने का कोई विचार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय सभी पंचायतों ने विरोध किया है. उर्जा मंत्री का कहना था कि प्रदेश सरकार आंदोलनरत पक्ष से वार्ता करके मामले को सुलझाने का प्रयास करेगी.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर पावर प्रोजेक्ट निर्माण का विरोध हो रहा है, जो प्रदेश के आर्थिक लिहाज से ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जंगी-थोपन-पोवारी प्रोजेक्ट को लेकर ए.डी.एम. की अध्यक्षता वाली कमेटी प्रभावित पक्ष से वार्ता कर रही है. ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने विधायक जवाहर ठाकुर और सुरेंद्र शौरी की तरफ से पूछे गए प्रश्न के जवाब में कहा कि वर्ष, 2006 में बने लारजी प्रोजेक्ट के तहत लाडा (लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड) की राशि नहीं मिलेगी. यह राशि इसलिए नहीं मिलेगी, क्योंकि प्रोजेक्ट निर्माण के समय ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के प्रभावितों को सभी तरह का मुआवजा दे दिया गया.